Wednesday, June 2, 2010

फर्जी एनकाउंटर की कहानी, दो युवकों की जुबानी

जम्म-कश्मीर. जम्मू में तीन युवकों के फर्जी इंनकाउंटर ने पहले ही लोगों का दिल हिला दिया था लेकिन अब दो और युवक फर्जी एनकाउंटर से बाल-बाल बचने में कामयाब हो गए। नौकरी का लालच देकर जंगल में आतंकवादियों की तरह कपड़े पहनाकर सेना करती है फर्जी एनकाउंटर। यह कहना है शारिक और जहूर की।




शारिक अहमद और जहूर को अब लगता है कि उनका दूसरा जन्म हुआ है। ये दोनों एलओसी से मौत के मुंह से निकलकर अपने घर सही सलामत वापस आ गए। इन्होंने घर पहुंचकर सेना दरा की गई हैवानियत को बताया जिसे सुनकर किसी के भी रोंगटे तक खड़े हो जाएंगे।




जहूर ने कहा, एक पुलिसवाले ने 11 मई को उसे सेना में नौकरी दिलवाने का लालच देकर उसे जंगल में ले गए थे और वहां पर उन्हें आतंकवादियों की तरह कपड़े पहनाकर एनकाउंटर करने के पहले होने वाली भूमिका दिखाई। उस समय हमें कई तरह के लालच दिए जा रहे थे, हमे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि असल में हमारे साथ क्या होने वाला है।




पुलिस जंगल में हमारा कपड़ा बदलवाकर सेना के एक कैंप में ले गई। यहां पर हम खान की तरह से कपड़ा और जूते पहने थे। हमें यहां पर बहुत डर लग रहा था। हमने कई बार पूछा कि हमें नौकरी कब मिलेगी तो हमें सिर्फ झूठा आश्वासन दिया जाता रहा। लेकिन हमारे घर वालों की मदद से एक बड़े ऑफीसर ने समय रहते हमारी जान बचा ली। जहूर ने बताया कि कैंप में हमारे एनकाउंटर की पूरी तैयारी कर ली गई थी लेकिन सही समय पर ऑफीसर ने हमें मौत के मुंह से निकाल लिया।




शारिक के पिता गुलाम अहमद ने बताया कि कमांडर ने हमारे बेटे को हम तक सही सलामत पहुंचाया नहीं तो यहां पर औरों की तरह हमारे बेटे भी मार दिए जाते। शरीक ने बताया कि मैं पैसे के लालच में आ कर पुलिस के चंगुल में फंस गया था। मुझे 15 हजार हर महीने की तनख्वाह दिए जाने की बात कही गई थी। शरीक ने कहा कि सेना यहां के युवकों को इसी तरह से आतंकवादियों के कपड़े पहनाकर जंगल में ले जाकर मार देते हैं और बाद में सेना यह कहती है कि कई घंटे तक चली मुठभेड़ में आतंकवादी मार गिराए गए जबकि कुछ हकीकत हमारी तरह है।




गौरतलब है कि अभी कुछ दिन पहले जम्मू में सेना ने तीन लोगों का फर्जी एनकाउंटर कर दिया था, जिसमें सेना का एक ऑफीसर और कुछ पुलिसकर्मी गिरफ्तार हुए थे।

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