Tuesday, June 1, 2010

दिल्‍ली में रह कर भी कैबिनेट से दूर रहीं ममता

नई दिल्ली. केंद्रीय रेल मंत्री ममता बनर्जी दिल्‍ली में रहते हुए भी मंत्रिमंडल की बैठक से नदारद रहीं। बाद में सफाई देते हुए उन्‍होंने कहा कि वह व्‍यस्‍तता के चलते बैठक में नहीं जा सकीं। इसे संप्रग से किसी तरह की नाराजगी से जोड़ कर नहीं देखा जाना चाहिए। ममता पहले भी कई बार मंत्रिमंडल की बैठक से गैरहाजिर रहने के लिए विवादों में रह चुकी हैं।



केन्द्रीय मंत्निमंडल की राजनीतिक मामलों की आज झारखड़ में राष्ट्रपति शासन लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी देने के लिए हुई बैठक में ममता बनर्जी अनुपस्थित रहीं थी। फिर बाद में केन्द्र में यूपीए से किसी प्रकार की मतभेद अथवा नाराजगी होने का ममता ने पूरी तरह से खंडन किया।

दिल्ली में मौजूद बनर्जी ने कहा कि उन्होंने केन्द्रीय मंत्निमण्डल की बैठक में महज इसलिए हिस्सा नहीं लिया क्योंकि उसका एजेंडा सिर्फ झारखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के प्रस्ताव पर विचार करना था। उन्होंने कहा कि यह कहना गलत है कि किसी नाराजगी की वजह से मंत्निमण्डल की बैठक में भाग नहीं लिया है। मेरा यूपीए से पहले जैसा ही संबंध है और मेरा किसी से कोई मतभेद नहीं है।

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले में ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस रेल दुर्घटना को लेकर बनर्जी, केन्द्रीय गृहमंत्नी पी. चिदबंरम और वित्त मंत्नी प्रणव मुखर्जी के अलग-अलग बयान आए थे जिनसे उन तीनों के बीच तलखी होने के समाचार छपे थे। ममता ने कहा था कि ट्रेन हादसे के पीछे नक्सलियों का हाथ है जबकि चिदबंरम और प्रणब मुखर्जी ने फिश प्लेट निकलने से हुए हादसे की बात कही थी। इसके बाद से ही ऐसा माना जा रहा था कि केन्द्र और ममता में तनातनी हो गई है।

बाद में ममता ने इस रेल दुर्घटना की सीबीआई जांच की घोषणा भी कर दी थी जिसको लेकर फिर नाराजगी व्यक्त की गई थी हालांकि बनर्जी ने फिर दोहराया है कि वह इस पर विश्वास नहीं कर सकती कि कोई व्यक्ति लोगों को इस बेरहमी से मार सकता है। अत: सीबीआई से जांच होने पर ही दुर्घटना के वास्तविक कारणों का पता चल पाएगा। हालांकि प. बंगाल सरकार ने ममता की इस मांग को खारिज करते हुए हादसे की जांच सीआईडी से कराने का फैसला किया है।

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