Tuesday, June 1, 2010

अक्षरधाम हमले में तीन की फांसी बरकरार

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अहमदाबाद. अक्षरधाम आतंकी हमले के मामले में मंगलवार को गुजरात हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है। विशेष पोटा जज सोनिया गोकाणी की अदालत ने 2006 में इस मामले में तीन आरोपियों को फांसी, एक को उम्रकैद, एक को 10 साल की सजा और एक को पांच साल की सजा सुनाई थी।
कैदियों ने हाईकोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी थी। स्वामीनारायण संप्रदाय के गांधीनगर स्थित अक्षरधाम मंदिर को सितंबर 2002 में दो आतंकियों के हमले में 33 लोग मारे गए थे जबकि 76 जख्मी हुए थे। बाद में इस मामले में 6 लोगों को पकड़ा गया जिनके ऊपर पोटा के तहत मुकदमा चला और फिर पोटा कोर्ट ने सभी को सजा सुनाई। इसके बाद इन सभी ने हाईकोर्ट में सजा के खिलाफ अपील की थी, जिसे आज कोर्ट ने खारिज कर दिया। हमले की साजिश रचने में शामिल 24 लोग अब भी फरार हैं। बाद में इस मामले में दो और लोगों को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया जो इस समय जेल में हैं और जिनका मामला लोअर कोर्ट में चल रहा है।

क्या हुआ था उस दिन

24 सितबंर 2002 दिन मंगलवार, लोग स्वामी नारायण मंदिर में दर्शनों के लिए लंबी कतार लगाए खड़े थे। लेकिन शाम करीब सवा पांच बजे कुछ बंदूकधारियों ने मंदिर में घुस आए और गोलियां चलानी शुरु कर दी। 15 से 20 मिनट बाद पुलिस यहां पर पहुंची थी तब तक काफी लोग मौत के आगोश में चले गए थे। इस हमले में 33 लोग मारे गए थे जबकि 76 लोग घायल।

कई घंटों तक चले इस मुठभेड़ में एनएसजी और गुजरात पुलिस का एक कमांडो भी मारा गया था जबकि कुछ कमांडो भी घायल हुए थे। आतंकवादियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच पूरी रात मुठभेड़ चली, जिसमें दो चरमपंथी भी मारे गए थे।

घटना के बाद पुलिस ने सबसे पहले उस कार के मालिक और ड्राइवर को गिरफ्तार किया था जिसमें बैठकर दो हमलावर स्वामीनारायण मंदिर तक पहुंचे थे। अधिकारियों के अनुसार यह हमला चरपंथी संगठन जैस-ए-मोहम्मद के इशारे पर किया गया था।

क्या है अक्षरधाम मंदिर

अक्षरधाम मंदिर का संचालन अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्थान करता है जो अपने सुंदर स्थापत्य कला के लिए जाना जाता है। हर साल लगभग 20 लाख भक्त गांधीनगर स्थित इस मंदिर में आते हैं। यह मंदिर 19वीं सदी के हिंदू संत स्वामीनारायण के अनुयायियों ने बनवाया है।

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