Saturday, June 5, 2010

विदेशियों के नाम से डरती हैं जीबी रोड की महिलाएं

womenनई दिल्ली. दिल्ली में कुछ ही महीने बाद कॉमनवेल्थ गेम्स होने वाले हैं। इस दौरान हजारों विदेशी मेहमान दिल्ली आएंगे। सरकार इन मेहमानों की खातिर-तव्वजो में अभी से जुटी है।


दिल्ली का एक इलाका ऐसा भी है, जो इन विदेशी मेहमानों के नाम से ही सहमा हुआ है और डर की वजह है एचआईवी एड्स। दिल्ली के रेड लाइट एरिया जीबी रोड में रहने वाली सैकड़ों महिलाएं नहीं चाहतीं कि कोई विदेशी उनकी चौखट पर आए। जीबी रोड की असिमा बानो के मुताबिक भारत आने से पहले विदेशियों की एचआईवी जांच करवाई जाए। जो इस जांच में पास हों, केवल उसे ही भारत का वीजा देना चाहिए।


विदेशियों से यह डर किसी एक का नहीं है। यही कारण है कि जीबी रोड की महिलाओं के लिए काम करने वाले संगठन पतिता उद्धार संघ ने इस बाबत विदेश मंत्री व स्वास्थ्य मंत्री से मदद की गुहार लगाई है। संगठन के अध्यक्ष खैरातीलाल भोला के मुताबिक उन्होंने जीबी रोड में रहने वाली महिलाओं की ओर से 18 अप्रैल को विदेश मंत्री एसएम कृष्णा को एक पत्र लिखा है। जिसमें मांग की गई है कि बिना एचआईवी जांच के किसी विदेशी को भारत का वीजा न दिया जाए। इस मामले में संस्था स्वास्थ्य मंत्रालय की भी मदद ले रही है।


भोला के मुताबिक 1984 में हुए एशियाई खेलों के दौरान बड़ी संख्या में विदेशी भारत आए थे । यही वह अवसर था, जब विदेशी नागरिकों से कई दिल्लीवालों में एचआईवी का संक्रमण फैलना शुरू हुआ। एशियाई खेलों में मिला यह दर्द जीबी रोड के अधिकांश कोठों की महिलाएं अभी तक नहीं भूली हैं। यहां रहने वाली नीरूजी का कहना है एशियाई खेलों के समय ज्यादातर महिलाओं को सुरक्षित यौन संबंधों की जानकारी भी नहीं थी, जिससे कई युवतियां इस बीमारी से ग्रस्त हुई और बाद में उनकी मृत्यु हो गई। अब जब एक बार फिर बड़े पैमाने पर विदेशी भारत आने को हैं तो जीबी रोड में रहने वाली महिलाएं इससे डरी सहमी हुई हैं। उन्हें डर सता रहा है कि खेलों का यह जश्न कहीं उनके लिए मातम न बन जाए।


जीबी रोड में कुल कोठे 116
देह व्यापार में लिप्त महिलाएं 4500
विभिन्न प्रकार के रोगों से ग्रस्त महिलाएं 30 फीसदी, इनमें त्वचा, शुगर व शारीरिक कमजोरी की रोगी सबसे अधिक हैं।


इमारतों की संख्या जिनमें कोठे चलते हैं 50

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