Thursday, July 29, 2010

बॉलीवुड को 'ब्रेकिंग न्यूज़' में मिला नया मसाला


मुंबई पर आतंकी हमला हो या जेसिका लाल की हत्या का मामला , बॉलीवुड को अब ‘ब्रेकिंग न्यूज’ में फिल्मों का मसाला मिल रहा है। अनुराग कश्यप की ‘देव डी’ से लेकर दिबाकर बनर्जी की ‘ओय लकी लकी ओय’ और ‘लव सेक्स और धोखा’ तक, बॉलीवुड की कई फिल्में खबरों से निकल कर आ रही हैं।वर्ष 1993 के मुंबई विस्फोट पर आधारित फिल्म ‘ब्लैक फ्राइडे’ बनाने वाले कश्यप ने ‘देव डी’ में डीपीएस के एमएमएस स्कैंडल को भी शामिल कर लिया। इसी तरह बनर्जी ‘ओय लकी लकी ओय’ में दिल्ली के एक चोर बंटी के शोषण की कहानी से प्रेरित दिखे।


‘लव सेक्स और धोखा’ की कहानी में बेनर्जी ने हॉनर किलिंग से लेकर एमएमएस स्कैंडल और स्टिंग ऑपरेशन तक को भुना डाला। बेनर्जी ने फिल्म के बारे में कहा ‘‘फिल्म हमारे आस-पास घट रही घटनाओं को दिखाती है। फिल्म का आइडिया एमएमएस स्कैंडलों से आया।’’ दूसरी ओर फिल्मकार राजकुमार गुप्ता इन दिनों ‘नो वन किल्ड जेसिका’बना रहे हैं, जो 1999 में दिल्ली के एक रेस्टोरेंट में मॉडल जेसिका लाल की हत्या पर आधारित है।इस फिल्म में रानी मुखर्जी और विद्या बालन मुख्य भूमिका में नज़र आएंगी|
हाजी मस्‍तान एक बहुत अच्‍छा कैरेक्‍टर है: अजय देवगन







अजय देवगन उन लोगों में से हैं जो बीते हुए कल पर अफसोस करने से बेहतर आगे के बारे में सोचना पसंद करते हैं। वे इस बात से दुखी नहीं है कि उन्‍हें राजनीति में दरकिनार किया गया बल्कि इस बात से खुश है कि उनकी आने वाली फिल्‍म वंस अपॉन ए टाइम बॉक्‍स ऑफिस पर बेहतर प्रदर्शन करेगी। वह इस फिल्‍म में एक माफिया के रोल में हैं। पिछले दिनों साक्षात्‍कार के दौरान उन्‍होंने हाजी मस्‍तान के बारे में खुलकर बातें की।


आपका कहना है कि फिल्‍म में जो हाजी मस्‍तान नाम का माफिया है वह अलग तरह का माफिया है। क्‍या यह हाजी मस्‍तान के जीवन पर आधारित है? मेरा रोल माफिया का है लेकिन वह कुछ कुछ रॉबिनहुड की तरह है। चूंकि यह फिल्‍म 70 के दशक के माफियों पर आधारित है। उस दौर का सबसे बड़ा माफिया हाजी मस्‍तान था। इसलिए लोग दोनों को जोड़कर देख रहे हैं। डॉन के व्‍यक्तित्‍व के कुछ हिस्‍सों को लिया गया है लेकिन यह एक काल्‍पनिक कहानी है।


क्‍या यह हाजी मस्‍तान के जीवन पर आधारित है? यह फिल्‍म देखने के बाद लोगों का नजरियां बदल जाएगा। इसमें सिर्फ हाजी को रिफरेंस के तौर पर लिया गया है। डॉन के लाइफ स्‍टाइल, ड्रेस, उसके चलने का स्‍टाइल, बॉडी लैग्‍वेज और उसकी मनोवृति को लिया गया है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि यह फिल्‍म उनके जीवन पर आधारित है। कोई एक मीडिया किसी चीज के बारे में लिख देती है तो बा‍की लोग भी उसे फॉलो करने लगते हैं। कंगना का कहना है कि इस फिल्‍म में वह मधुबाला और सोना के मिक्‍स रोल में है ?


मुझे ऐसा नहीं लगता। कई बार ऐसा होता है कि रोल को ज्‍यादा मजबूत बनाने के लिए दो लोगों के जीवन के कुछ पहलू को ले लिया जाता है। 70 के दशक के डॉन का रोल करने से पहले मैं हाजी मस्‍तान और अमिताभ बच्‍चन दोनों के बारे पढ़ा इसके बाद यह रोल किया हूं।


आप अपने कैरेक्‍टर के बारे में क्‍या कहना चाहेंगे ?


इस फिल्‍म में जो माफिया है वह बहुत ही रोमांटिक किस्‍म का है साथ ही उसका सेंस ऑफ ह़यूमर बहुत रिच है। वह रॉबिन हुड को पसंद करता है। वह गरीबों की मदद करने के लिए अमीरों को लूटता है। गरीब लोग उसकी ताकत है और यही कारण है कि वह सब पर राज करता है।


70 के दशक के मुंबई के बारे में कुछ याद है ?


जहां तक मुझे याद है उस समय सड़कों पर ट्रैफिक कम होता था। सड़क पर गड्ढे कम थे। यहां का जीवन शांतिपूर्ण था लेकिन आज यहां का ज्‍यादातर एरिया डांकी यार्ड जैसे लगते हैं। आप खुद को इस कैरेक्‍टर के कितना करीब महसूस करते हैं?


मै इस कैरेक्‍टर को अपने जीवन से नहीं मिलाना चाहता क्‍योंकि ऐसा करके मैं अपना वास्‍तविक जीवन भूल जाउंगा। लेकिन जब मैं भगत सिंह का रोल कर रहा था उस दौरान मैं अपने रोल को लेकर बहुत सतर्क रहता था क्‍योंकि एक रियल लाइफ हीरो का रोल कर रहा था। एक छोटी सी भूल भी मायने रखती है।


करियर के शुरुआत में आप एक एक्‍शन हीरो थे लेकिन शादी के बाद आप स्‍टंट करने से डरने लगे हैं?


मेरी आने वाली फिल्‍म आक्रोश में मैंने काफी स्‍टंट किए हैं। यह फिल्‍म ऑनर किलिंग पर आधारित है। घटनाएं तो कभी भी घट सकती हैं। लेकिन शादी के बाद मैं ज्‍यादा सतर्क हो गया हूं। अब गाड़ी भी मैं बहुत संभल कर चलाता हूं।एक्‍ट्रेस पत्‍नी से आपको कुछ मदद मिलती है? एक्‍ट्रेस पत्‍नी फिल्‍म इंडस्‍ट्री को अच्‍छी तरह समझती है। कई विषयों पर वह सलाह देती है।


क्‍या आप आमिर खान की तरह एक यंग हीरो का रोल करना पसंद करेंगे? अगर शानदार स्‍क्रीप्‍ट हुआ तो जरूर करना पसंद करूंगा।

Wednesday, July 28, 2010

फर्जी एनकाउंटर ??????????????????????

यदि सेकुलरिज्म की पहचान गुजरात के एक गैंगस्टर की तकदीर से हो तो यह बड़ा अजीब होगा। सोहराबुद्दीन शेख के मामले में न केवल उसका मजहब दांव पर लगा है, बल्कि कानून भी कसौटी पर है।

एक फर्जी एनकाउंटर में सोहराबुद्दीन की मौत और उसके बाद उसकी बीवी कौसर बी के कत्ल की जांच का जिम्मा सुप्रीम कोर्ट ने 13 जनवरी 2010 को सीबीआई को सौंपा था। गुजरात की सरकार ने अपनी विश्वसनीयता तभी खो दी थी, जब दिसंबर 2006 में उसने यह कबूला कि 26 नवंबर 2005 को सोहराबुद्दीन को जिस मुठभेड़ में मारा गया, वह फर्जी था और इसके दो दिन बाद उसकी बीवी का भी कत्ल कर दिया गया।

सुप्रीम कोर्ट का जो रुख रहा है, वह न केवल गुजरात सरकार बल्कि किसी भी दफ्तरशाही को दहशत से भर देने के लिए काफी है। कोर्ट ने जोर देकर कहा कि कौन कसूरवार है और कौन बेकसूर, यह तय करना अदालत का काम है, पुलिस का नहीं। सच्चाई यह है कि कम से कम दो दशकों से और कुछ इलाकों में तो इससे भी लंबे समय से सुरक्षा बल फर्जी मुठभेड़ों का इस्तेमाल अपराध और आतंकवाद के विरुद्ध एक आसान हथियार की तरह करते आ रहे हैं। गुजरात में जो हुआ, वह नया नहीं था।

हम नहीं जानते कि अंडरवर्ल्ड की लगाम कसने के नाम पर मुंबई में कितने बेकसूर लोगों को मार दिया गया है। गोली चलाने में पीछे नहीं हटने वाले पुलिस अफसर बाद में सवालों का जवाब देने से तो मुकर गए, लेकिन उन्हें न केवल महाराष्ट्र सरकार बल्कि बॉलीवुड ने भी हीरो की तरह प्रचारित किया। बॉलीवुड ने इस कहानी में इसलिए दिलचस्पी ली, क्योंकि एनकाउंटर को कई नागरिकों का समर्थन हासिल है।

हम इसमें भरोसा ही नहीं करते कि जुर्म पर कानूनी तरीकों से भी काबू पाया जा सकता है, क्योंकि भ्रष्टाचार ने पुलिस और न्याय व्यवस्था के एक बड़े हिस्से को बेअसर बना डाला है। हम आम नागरिक भी इस गुनाह के हिस्सेदार हैं, क्योंकि हम ही वे लोग हैं, जो अंडरवर्ल्ड की चीजें खरीदते हैं। ड्रग्स और नारकोटिक्स लेने वाला मुंबई का हर शख्स भ्रष्टाचार के इस दलदल में धंसा है, क्योंकि इसके बिना अंडरवर्ल्ड का काम ही नहीं चल सकता।

तड़क भड़क वाली पार्टियों में हशीश के कश लगाने वाले अमीर मुंबईकरों को भी इस बारे में सोचने की जरूरत है। हम इतने खुदगर्ज हो गए हैं कि अपनी कमजोरियों को ढांपने के लिए तो हमें अपराध की जरूरत महसूस होती है, लेकिन अपराधी हमारी नजर में खटकते हैं और हम उन्हें रास्ते से हटा देना चाहते हैं।

अमित शाह कितने ही चतुर राजनेता क्यों न हों, लेकिन वे बचकर नहीं निकल सकते। भारत में इंसाफ की चक्की धीमे जरूर चलती है, लेकिन पीसती बारीक है। शाह यह कोशिश करेंगे कि वे जनमानस में पैठे विरोधाभासों का फायदा उठाएं, क्योंकि फर्जी मुठभेड़ों का समर्थन करने वाले कई होंगे। लेकिन कारोबारियों से पैसा लेने के आरोपों से भी शाह के दामन पर कालिख लगी है। शाह और नरेंद्र मोदी को जल्द ही पता चल जाएगा कि सत्ता की सरहदें सियासत से बड़ी होती हैं।

लेकिन इतना तो तय है कि विश्वसनीयता को केवल एक मामले और एक राज्य तक सीमित नहीं किया जा सकता। आखिर राजकुमार चेरुकुरी आजाद की मौत के लिए कौन जवाबदेह है? इस 55 वर्षीय नक्सली नेता को आंध्रप्रदेश पुलिस ने आदिलाबाद जिले में गोली से उड़ा दिया था। यह ‘मुठभेड़’ थी या ‘फर्जी मुठभेड़’? क्या पुलिस के पास किसी नक्सली हमले का सबूत था, जो वह बदले में जवाबी कार्रवाई कर रही थी? या उन्हें दिल्ली या आंध्रप्रदेश से आजाद का कत्ल करने का हुक्म मिला था?

आजाद की मौत के पीछे एक राजनीतिक पहलू यह है कि वह सरकार और नक्सलियों के बीच समझौता वार्ताओं के लिए पुल का काम कर सकता था। क्या दिल्ली उसे इसलिए रास्ते से हटाना चाहती थी क्योंकि समझौता वार्ता के प्रस्तावों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था? स्वामी अग्निवेश जैसे मध्यस्थ तो यही सुझाते हैं। क्या अब समय आ गया है कि स्वामी अग्निवेश आंध्र पुलिस को हत्या में शरीक ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट में रिट पिटीशन दायर करें?

सवाल यह है कि सरकार का दुश्मन कौन है? कसाब और उस जैसे हजारों अन्य घुसपैठी आतंकियों के मामले में तो भ्रम की कोई स्थिति नहीं रहती। लेकिन जब श्रेणियां बदल जाती हैं तो तस्वीर धुंधला जाती है। अदालत का यह कथन साहसभरा है कि सोहराबुद्दीन जैसा हत्यारा किसी खूनी दस्ते का सामना नहीं कर सकता। तो क्या कोर्ट का मंतव्य यह है कि आजाद को बिना मुकदमा चलाए मार दिया जाना चाहिए था, क्योंकि आंध्रप्रदेश और दिल्ली में बैठे हुक्मरानों ने यह तय किया था?

सुप्रीम कोर्ट कोई राजनीतिक दल नहीं है। वह व्यावहारिक जरूरतों के लिए अपने उसूलों में रद्दोबदल नहीं कर सकती।
लापता विदेशी पैराग्लाइडर का शव मिला...


- kangra me dholadhaar पालमपुर की ऊपरी पहाड़ियों में एक पैराग्लाइडर का शव मिला है। शव मिलने की सूचना एक चरवाहे ने पुलिस को दी। पुलिस शव को लाने की तैयारी में जुट गया है। शव तक पहुंचने में दो दिन तक पैदल रास्ता तय करना होगा। इसके लिए पुलिा पर्वतारोहियों की मदद लेने पर विचार का रही है। अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि यह शव किसका है, लेकिन शव के आसपास पैराशूट और अन्य सामान मिला है।
- बीड़ से हुआ था लापता...
माना जा रहा है कि यह शव एक साल पहले लापता हुए का हो सकता है। झंझारडा (बंदला) गांव का सरन दास जानवरों सहित इन पहाड़ियों में गया था। उसने दुर्गम पहाड़ी में एक अज्ञात शव और पैराशूट देखा। पिछले साल एक अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय पैराग्लाइडिंग केंद्र बीड़ में हर वर्ष की तरह प्रतियोगिता का आयोजन हुआ था।

- इस दौरान तीन विदेशी पैराग्लाइडिंग पायलट लापता हो गए थे। एक को बचा लिया गया था जबकि एक की मौत हो गई थी। तीसरे का अभी तक कोई पता नहीं चल पाया है। ग्लैक्सी आरसोलोव की गमशुदगी की शिकायत बैजनाथ थाना में 23 अक्तूबर 2009 को दर्ज की गई थी।

- इससे पहले भी वर्ष 2000 में लापता इंग्लैंड के पैराग्लाइडर जोल किग्चन का कोई पता नहीं लग पाया था। पुलिस का कहना है कि भेड़पालक की ओर से बताए गए स्थल पर जांच दल भेजा जाएगा। इसमें पर्वतारोही दल का सहयोग लिया जाएगा। जांच दल के बुधवार सुबह तक रवाना होगा।

Thursday, July 15, 2010

संन्यास से ज्यादा कठिन होता है दांपत्य जीवन

जीवन में श्रेष्ठ क्या है इसकी सबकी अपनी-अपनी परिभाषा होती है। किसी धार्मिक आदमी से पूछो तो वह कहेगा श्रद्धा के बिना धर्म बेकार है। किसी आध्यात्मिक व्यक्ति से पूछें तो वह प्रेम पर टिक जाएगा। कोई योद्धा हो और लंबे समय से रणक्षेत्र में हो तो उसके लिए घर से बढ़कर और कुछ नहीं होगा। व्यापारी व्यवसाय को उत्तम बताएगा।

ऐसे जीवन के अनेक क्षेत्र हैं जिनमें सबकी अपनी-अपनी राय होगी। कल्पना करिए ये सब एक जगह मिल जाएं तो जीवन का दृश्य क्या हो? और इसका नाम है दृष्टि। दांपत्य एक तरह का कोलाज है। यहां धर्म, प्रेम, श्रद्धा, शांति, अशांति, लोभ सब एक साथ मिल जाएगा। जोगी, यति, तपस्वी, फकीर, महात्मा, सफल व्यवसायी, उच्च शिक्षाविद सबकुछ इस एक छत के नीचे घट सकता है। इसलिए दांपत्य को संन्यास से भी कठिन माना है।

इसमें धर्य और दूसरे के लिए जीने की तमन्ना रखनी पड़ती है। गृहस्थी से गुजरे हुए लोग स्वतंत्र जीवन जीने वाले लोगों के प्रति परिपक्व और गंभीर नजर आते हैं। परमात्मा की खोज में निकलने वाले लोग केवल पहाड़ों, जंगलों से निकलेंगे ऐसा नहीं है। चूल्हा, चौका, शयनकक्ष और आंगन को भी परमात्मा ने अपना स्थान बनाया है। भगवान ने अपने लिए एक नाम रखा है ब्रह्मा। इसका अर्थ है जो सदा विस्तार की ओर चले, हमेशा विराट होने की संभावना अपने अंदर रखे, जो अनंत हो। और यह भाव गृहस्थी में बड़ा काम आता है क्योंकि भीतर से विशाल हुए बिना बाहर का विराट कैसे उपलब्ध होगा?

साधु और संत कभी बीमार भी पड़ते हैं या नहीं

एक सवाल सामान्य लोग आपस में किया करते हैं और वह यह है कि क्या साधु-संत बीमार नहीं पड़ते? यदि उन्हें भी वे सारी व्याधि सताती हैं, जो अन्य मनुष्यों को परेशान करती हैं तो फिर संत और सामान्य में भेद कैसा? आइए, आज साधु-संतों की बीमारी से परिचित हो लें।

शरीर उनके पास भी है, हमारे पास भी। फर्क यह है कि उनके लिए शरीर धर्मशाला की तरह है और हमने स्थायी मुकाम बना लिया है। इब्राहिम के जीवन की एक घटना है। उनकी कुटिया एक ऐसे मोड़ पर थी, जहां से बस्ती और मरघट दोनों के रास्ते निकलते थे। आने-जाने वाले राहगीर उनसे रास्ता पूछा करते थे। फकीरों की जुबां भी निराली लेकिन अर्थभरी होती है। वे लोगों को बस्ती किधर है, पूछने पर जिस रास्ते पर भेजते वह रास्ता मरघट का होता और मरघट जाने वालों को रिहायशी इलाके में रवाना कर देते। बाद में लोग आकर इनसे झगड़ते।

इब्राहिम का जवाब होता था कि मेरी नजर में मरघट एक ऐसी बस्ती है, जहां एक बार जो गया वह हमेशा के लिए बस गया। वहां कोई उजाड़ नहीं होता, लेकिन बस्ती वह जगह है जहां कोई बस नहीं सकता। जिसको हम रहने की जगह कहते हैं उसको फकीर श्मशान कहेंगे। इसीलिए शरीर के प्रति उनकी नजर अस्थाई निवास की तरह होती है। मैं शरीर नहीं हूं, यह भाव यहीं से जन्मता है। अत: जब बीमारी आती है तो संत, महात्मा, फकीर यह मानकर चलते हैं बीमारी का लेना-देना शरीर से है मुझसे नहीं और वह दूर खड़े होकर शरीर और बीमारी दोनों को देखते हैं। इसी साक्षी भाव में बड़े से बड़ा भाव छिपा है।

भारतीय मोबाइल फोन निशाने पर

भारतीय मोबाइल फोन निशाने पर


अमृतसर. सरहद पार बैठे आतंकी भारत में आतंक व खौफ फैलाने के लिए हर रोज कोई न कोई खुराफात करते रहते हैं। पाक खुफिया एजेंसी आईएसआईके पोषित आतंकियों ने अबकी बार मोबाइल फोन को निशाना बनाना शुरू किया है। वे भारतीय खास करके पंजाब के मोबाइल यूजर्स से उनके मोबाइल फोन का आईएमईआई नंबर मांग रहे हैं।

उनकी चिकनी-चुपड़ी बातों में आकर लोग नंबर तो दे देते हैं, मगर इसके पीछे साजिश को समझ नहीं रहे। खुफिया एजेंसियों की मानें तो इससे बड़ी आसानी से आतंक वारदात के बाद उन्हें फंसाया जा सकता है। इसकी के तहत सरहद पार से अमृतसर के कुछ लोगों को संदिग्ध कॉल्स आई हैं। रानी का बाग निवासी डा. रणबीर और सुल्तानविंड निवासी केवल सिंह को दो माह में दो बार पाकिस्तान के मोबाइल नंबर +923454187150 और +923446906336 से कॉल आईं।

काल करने वाले ने कहा कि आपका दस लाख रुपए का इनाम निकला है। इसके लिए आपको अपने मोबाइल से *प्तक्६प्त डायल करना होगा और जो नंबर आपके मोबाइल स्क्रीन पर आएंगे उन्हें हमें बताना होगा। डा. रणबीर के मुताबिक उन्होंने नंबर डायल किया तो स्क्रीन पर उनके मोबाइल का आईएमईआई नंबर आ गया। इस पर वह सतर्क हो गए और कॉल करने वाले को उक्त नंबर नहीं बताया। महानगर में ऐसे कई लोगों को सरहद पार से फोन आ चुके हैं।

साफ्टवेयर के जरिये हो सकता हैं खेल

मामले में मोबाइल फोन एक्सपर्ट्स से जानकारी ली गई कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए। उनका कहना था कि आईएमईआई नंबर अगर दुश्मनों के हाथ लग जाए तो वह इसका इस्तेमाल घुसपैठियों और आतंकियों की मदद के लिए कर सकते हैं। क्योंकि इस नंबर का पता लगने पर उस नंबर को सॉफ्टवेयर के जरिए एक से १क्क् मोबाइल तक में डाला जा सकता है। इन मोबाइलों के माध्यम से कोई भी जानकारी ली या दी जाए तो उसका जिम्मेदारी असली मोबाइल धारक का नाम आएगा। क्योंकि इस नंबर का कहां और कौन इस्तेमाल कर रहा है इसकी जानकारी निकाल पाना असंभव है। साइबर क्राइम एक्सपर्ट इंस्पैक्टर दविंदर सिंह का कहना है कि टैक्नोलॉजी आतंकियों, घुसपैठियों, जासूसों तथा अन्य देशद्रोही ताकतों के लिए वरदान साबित हो सकती है।

सतर्क रहें: पुलिस कमिश्नर

मामला गंभीर है और देश की सुरक्षा से जुड़ा है। इसको पहल के आधार पर लिया जाएगा। लोगों से अपील है कि वह इस तरह के फोन से सतर्क रहें और पुलिस को तत्काल सूचित करें।

वरिंदर कुमार पुलिस कमिश्नर, अमृतसर

भारतीय मोबाइल फोन निशाने पर

अमृतसर. सरहद पार बैठे आतंकी भारत में आतंक व खौफ फैलाने के लिए हर रोज कोई न कोई खुराफात करते रहते हैं। पाक खुफिया एजेंसी आईएसआईके पोषित आतंकियों ने अबकी बार मोबाइल फोन को निशाना बनाना शुरू किया है। वे भारतीय खास करके पंजाब के मोबाइल यूजर्स से उनके मोबाइल फोन का आईएमईआई नंबर मांग रहे हैं।

उनकी चिकनी-चुपड़ी बातों में आकर लोग नंबर तो दे देते हैं, मगर इसके पीछे साजिश को समझ नहीं रहे। खुफिया एजेंसियों की मानें तो इससे बड़ी आसानी से आतंक वारदात के बाद उन्हें फंसाया जा सकता है। इसकी के तहत सरहद पार से अमृतसर के कुछ लोगों को संदिग्ध कॉल्स आई हैं। रानी का बाग निवासी डा. रणबीर और सुल्तानविंड निवासी केवल सिंह को दो माह में दो बार पाकिस्तान के मोबाइल नंबर +923454187150 और +923446906336 से कॉल आईं।

काल करने वाले ने कहा कि आपका दस लाख रुपए का इनाम निकला है। इसके लिए आपको अपने मोबाइल से *प्तक्६प्त डायल करना होगा और जो नंबर आपके मोबाइल स्क्रीन पर आएंगे उन्हें हमें बताना होगा। डा. रणबीर के मुताबिक उन्होंने नंबर डायल किया तो स्क्रीन पर उनके मोबाइल का आईएमईआई नंबर आ गया। इस पर वह सतर्क हो गए और कॉल करने वाले को उक्त नंबर नहीं बताया। महानगर में ऐसे कई लोगों को सरहद पार से फोन आ चुके हैं।

साफ्टवेयर के जरिये हो सकता हैं खेल

मामले में मोबाइल फोन एक्सपर्ट्स से जानकारी ली गई कई चौकाने वाले तथ्य सामने आए। उनका कहना था कि आईएमईआई नंबर अगर दुश्मनों के हाथ लग जाए तो वह इसका इस्तेमाल घुसपैठियों और आतंकियों की मदद के लिए कर सकते हैं। क्योंकि इस नंबर का पता लगने पर उस नंबर को सॉफ्टवेयर के जरिए एक से १क्क् मोबाइल तक में डाला जा सकता है। इन मोबाइलों के माध्यम से कोई भी जानकारी ली या दी जाए तो उसका जिम्मेदारी असली मोबाइल धारक का नाम आएगा। क्योंकि इस नंबर का कहां और कौन इस्तेमाल कर रहा है इसकी जानकारी निकाल पाना असंभव है। साइबर क्राइम एक्सपर्ट इंस्पैक्टर दविंदर सिंह का कहना है कि टैक्नोलॉजी आतंकियों, घुसपैठियों, जासूसों तथा अन्य देशद्रोही ताकतों के लिए वरदान साबित हो सकती है।

सतर्क रहें: पुलिस कमिश्नर

मामला गंभीर है और देश की सुरक्षा से जुड़ा है। इसको पहल के आधार पर लिया जाएगा। लोगों से अपील है कि वह इस तरह के फोन से सतर्क रहें और पुलिस को तत्काल सूचित करें।

वरिंदर कुमार पुलिस कमिश्नर, अमृतसर

उजड़ कर भारत पहुंचा पाकिस्तान हिंदुओं का कुनबा

अटारी. पाकिस्तान में तालिबानी आतंकियों का हिंदू-सिख परिवारों पर कहर बदस्तूर जारी है। संपत्ति की लूटपाट, बहू-बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ बेरोकटोक हो रहा है। यही कारण है कि परिवार के परिवार उजड़कर भारत की तरफ पलायन कर रहे हैं।

समझौता एक्सप्रैस के जरिए चार परिवारों के 22 सदस्य शरण लेने के लिए भारत पहुंचे। अपने परिवार के दस सदस्यों को लेकर भारत आए राकेश कुमार ने बताया कि पाकिस्तान में वे लोग दोयम दर्जे की जिंदगी बसर कर रहे हैं। इंसाफ के लिए अगर पुलिस के पास जाओ तो वहां भी सुनवाई नहीं होती। चार सदस्यों को लेकर आए दुर्गा दास ने बताया कि शाम को कौन कहे अब तो उनके घरों की महिलाओं के लिए दिन में भी घर से बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं है। उनका कहना है कि भारत सरकार पाकिस्तान पर दबाव बनाए और उनकी सुरक्षा पाकिस्तान में यकीनी हो।

उजड़ कर भारत पहुंचा पाकिस्तान हिंदुओं का कुनबा

उजड़ कर भारत पहुंचा पाकिस्तान हिंदुओं का कुनबा


अटारी. पाकिस्तान में तालिबानी आतंकियों का हिंदू-सिख परिवारों पर कहर बदस्तूर जारी है। संपत्ति की लूटपाट, बहू-बेटियों की इज्जत से खिलवाड़ बेरोकटोक हो रहा है। यही कारण है कि परिवार के परिवार उजड़कर भारत की तरफ पलायन कर रहे हैं।

समझौता एक्सप्रैस के जरिए चार परिवारों के 22 सदस्य शरण लेने के लिए भारत पहुंचे। अपने परिवार के दस सदस्यों को लेकर भारत आए राकेश कुमार ने बताया कि पाकिस्तान में वे लोग दोयम दर्जे की जिंदगी बसर कर रहे हैं। इंसाफ के लिए अगर पुलिस के पास जाओ तो वहां भी सुनवाई नहीं होती। चार सदस्यों को लेकर आए दुर्गा दास ने बताया कि शाम को कौन कहे अब तो उनके घरों की महिलाओं के लिए दिन में भी घर से बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं ह

laughing satellite TV channels

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Monday, July 12, 2010

30 विभागों ने मांगे 12 हजार कर्मचारी

चंडीगढ़ पंजाब के 30 विभागों ने 12 हजार नए कर्मचारी मांगे हैं। विभागों में चल रही रिटायरमेंट और वीआरएस लेने के चलते कर्मचारियों की संख्या लगभग सभी विभागों में आधी रह गई है।

रिटायरमेंट एज 58 से 60 करने का फैसला टालने के बाद राज्य सरकार ने विभागों से पूछा था कि उन्हें न्यूनतम कितने कर्मचारियों की आवश्यकता है। तीस विभागों ने अपनी सूचियां राज्य सरकार को सौंप दी हैं जबकि सात विभाग अभी रहते हैं। इन कर्मचारियों को एक सप्ताह का समय दिया गया है।

मुख्य सचिव ने सभी विभागों के प्रबंधकीय सचिवों,प्रमुख सचिवों और वित्तायुक्तों की मीटिंग करते हुए नई भर्ती संबंधी समीक्षा की। वित्त विभाग से इस नई भर्ती संबंधी होने वाले भार का आकलन करने को कहा गया है। हालांकि इससे पहले यह विचार था कि रिटायरमेंट एज को दो साल बढ़ाकर कर्मचारियों की होने वाली कमी को पूरा कर लिया जाए लेकिन वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल इस विचार से सहमत नहीं थे।

उनका मानना है कि नए कर्मचारी कम्प्यूटर की महारत हासिल करने वाले होंगे जिससे नई तकनीक को अपनाया जा सकेगा। इसलिए उन्होंने नई भर्ती करने पर सहमति दी।

सचिवालय का इस समय काफी बुरा हाल है। विभागों मंे आधे कर्मचारी भी नहीं रहे हैं। हालांकि नए विभाग,अथॉरिटीज और आयोग बनने के कारण विभागों का काम काफी बढ़ गया है। इससे विभागों की कार्यशैली प्रभावित हो रही है।


बर्खास्त होंगे सजायाफ्ता कर्मचारी
भ्रष्टाचार और क्रिमिनल केसों में सजा पाने के बावजूद विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों पर बर्खास्तगी की तलवार लटक गई है।

मुख्य सचिव ने सभी विभागों के प्रबंधकीय सचिवों को ऐसे कर्मचारियों की सूचियां तुरंत भेजने को कहा। दरअसल मुख्य सचिव ने हाईकोर्ट ने ऐसे सभी कर्मचारियों को बर्खास्त करने संबंधी शपथ पत्र दायर करना है।

एक जनहित याचिका में हाईकोर्ट ने पूछा है कि ऐसे कितने कर्मचारी हैं जिन्हें विभिन्न अदालतों ने सजा दे दी है इसके बावजूद वह विभागों मंे नौकरी कर रहे हैं।

मुख्य सचिव एससी अग्रवाल ने कहा, पिछले साल ऐसे 650 कर्मचारियों को बर्खास्त किया जा चुका है लेकिन अभी भी कुछ विभागों में बाकी हैं जिनकी सूचियां तैयार की जा रही हैं। जिन कर्मचारियों की सजा पर उच्च अदालत ने स्टे नहीं दी हुई है उन्हें निकाला जाना यकीनी है।

वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने मंत्री कालिया से इस्तीफा मांगा

जालंधर अवैध खनन मामले में आरोपों की कड़ी आगे बढ़ाते हुए सोमवार को शहर के दो वरिष्ठ भाजपा नेताओं ने स्थानीय निकाय विभाग के मंत्री मनोरंजन कालिया से इस्तीफे की मांग कर डाली।

नेताओं का कहना है कि अवैध खनन के मामले में मंत्री कालिया पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने से पार्टी की फजीहत हो रही है। जबकि मंत्री कालिया खुद को बचाते हुए ठीकरा दूसरों के सिर फोड़ना चाहते हैं।

यह वरिष्ठ नेता ओम दत्त जोशी व वरिंदर गुप्ता हैं। ज्ञात हो कि ओम दत्त जोशी भाजपा में मनोरंजन कालिया के पिता मनमोहन कालिया के समय में सक्रिय रहे हैं। जबकि वरिंदर गुप्ता वर्तमान में भाजपा विधायक केडी भंडारी के क्षेत्र के सक्रिय नेता हैं।

इनका कहना है कि प्रदेश में मंत्रियों व पदाधिकारियों पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोपों से राज्य में पार्टी की छवि खराब हो रही है। इससे पहले स्वास्थ्य मंत्री लक्ष्मीकांता चावला पर मुख्य संसदीय सचिव जगदीश साहनी में चले आरोप-प्रत्यारोप से भी पार्टी का नाम बेहद खराब हुआ।

अब ट्रांसपोर्टरों द्वारा मंत्री कालिया पर अवैध खनन को बढ़ावा देने के आरोप लगाना फिर पार्टी की छवि बिगाड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मंत्री कालिया पर लगे आरोपों की जांच निष्पक्ष जांच एजेंसी बनाकर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पार्टी हाई कमान कालिया-ट्रांसपोर्टर मामले की जांच करवाए जाने की बजाए उल्टा मामले को रूख कालिया व विधायक केडी भंडारी के बीच बेवजह उलझा रही है।

शिवराज को हटाने अनूप समर्थक हो रहे लामबंद

भोपाल. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान क्या भ्रष्टाचार के मुद्दे से बच पाएंगे वे अपने मंत्रिमंडल में दागियों से निपट पाएंगे, क्या मंत्रिमंडल में फेरबदल होगा? ये ऐसे प्रश्न है जो कि राजनीतिक गलियारों में गूंज रहे हैं।

भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति में पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अनंत कुमार ने ‘भ्रष्टाचार’ पर केन्द्रित अपना उद्बोधन दिया था। उनका कहना था कि भ्रष्टाचारियों पर कार्यवाही होना चाहिए। कार्यसमिति बैठक के तत्काल बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने स्वास्थ्य मंत्री अनूप मिश्रा से इस्तीफा लेकर उसे स्वीकृत भी कर दिया।

शिवराज सिंह चौहान द्वारा ताबड़तोड़ की गई कार्यवाही से अपने मंत्रियों अथवा पार्टी में क्या संदेश गया, यह विचारणीय है। अनूप मिश्रा किसी भ्रष्टाचार के आरोप के कारण मंत्री पद से बाहर नहीं हुए, यदि ऐसा होता तो सबसे पहले उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का इस्तीफा लिया जाता। अनूप मिश्रा का इस्तीफा बेलगांव में हुई घटना को लेकर लिया गया। इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हुई थी।

बताते हैं कि अनूप मिश्रा के परिवार जनों पर हमला कर एक युवक की हत्या करने का आरोप लगा था। अनूप मिश्रा के इस्तीफे के बाद उनके समर्थक लामबंद हुए। ग्वालियर में पुलिस प्रशासन को ज्ञापन देने से लेकर पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष प्रभात झा तक को सफाई दी गई। सूत्रों के अनुसार अनूप मिश्रा समर्थक पूर्व विधायक रामदयाल प्रभाकर ने विरोध स्वरूप पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।

उन्होंने अपने एक बयान में कहा है कि शिवराज सिंह चौहान ने दागियों को मंत्रिपद से हटाने के बजाए ऐसे मंत्री को पद से हटाया है जिस पर कोई आरोप नहीं थे। सूत्रों के अनुसार रामदयाल प्रभाकर के नेतृत्व में पार्टी के अनेक वर्तमान और पूर्व विधायक लामबंद हो रहे है।

इतना ही नहीं शिवराज मंत्रिमंडल के दो दर्जन सदस्य भी अनूप मिश्रा के साथ न्याय के लिए एकजुट हो रहे है। जानकारी के अनुसार रामदयाल प्रभाकर पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी के समक्ष अपना पक्ष रख चुके हैं।

बताते है कि इन नेताओं ने पार्टी हायकमान से साफ शब्दों में कहा है कि शिवराज सिंह चौहान पर भी भ्रष्टाचार के आरोप है, पहले उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाया जाए। चर्चा तो यह भी है कि राज्य के लगभग 80 विधायकों (इसमें मंत्री भी शामिल है) ने शिवराज हटाओ मुहिम चलाने रणनीति बना ली है।

‘दागियों के मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कुछ कर पाने की स्थिति में नहीं है। हालांकि दागियों पर दबाव बनाने उन्होंने अनूप मिश्रा को निशाना बनाया। उनका इस्तीफा भी हो गया। अब अनूप मिश्रा समर्थक शिवराज को हटाने लामबंद हो रहे है।

पंजाब में बाढ़ से 480 करोड़ का नुकसान

बाढ़ में 350 करोड़ रुपए से ज्यादा डूबे


चंडीगढ़ बाढ़ के पानी ने पंजाब के 763 गांवों की अढ़ाई लाख एकड़ भूमि बर्बाद कर दी है। इन गांवों की तीन लाख एकड़ से ज्यादा फसल खराब हो चुकी है। उधर, घग्गर में मकरोड़ और चंदू के पास दो जगह और दरार आई है। जबकि नरवाना कनाल में भी एक जगह दरार आई बताई जाती है।

उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल ने राज्यसभा सांसद बलविंदर सिंह भूंदड़ के साथ रविवार को सरदूलगढ़ क्षेत्र का दौरा किया और लोगों को विश्वास दिलाया कि सरकार उनकी हरसंभव मदद करेगी। सुखबीर ने रोपड़, पटियाला, संगरूर, मोहाली, लुधियाना और फतेहगढ़ साहिब के डीसी के साथ बाढ़ प्रभावित इलाकों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि बाढ़ का पानी अब कम होना शुरू हो गया है और अभी तक प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक किसानों का 480 करोड़ का नुकसान हो चुका है।
कृषि विभाग के निदेशक बलविंदर सिंह सिद्धू से बात करने के बाद सुखबीर ने उन्हें निर्देश दिए कि किसानों को धान की अल्प अवधि वाली वैरायटी के बारे में बताया जाए जो 110 दिनों में तैयार हो जाए। सुखबीर ने उन किसानों से अपील की है जिनके पास रोपाई के लिए धान की अतिरिक्त पनीरी है, वह बाढ़ प्रभावित किसानों को दे दें।

बादल ने कहा कि बाढ़ के पानी के कारण जो जमीन प्रभावित हुई है उस पर जल्द से जल्द दोबारा रोपाई संभव भी नहीं है, फिर भी सरकार किसानों की मदद करेगी। किसानों से कहा गया है कि वह धान की बजाए मूंग,मक्की और तोरिया जैसी फसलों को लगा लें ताकि उनका नुकसान न हो, इन फसलों के बीज जल्द से जल्द किसानों को मुहैया करने के लिए सुखबीर ने खेतीबाड़ी विभाग से कहा है। उन्होंने यह भी कहा कि यह भी ध्यान मंे रखा जाए कि किसानों को बीज वाजिब रेट पर मिलें। जो भी स्टॉकिस्ट अधिक रेट पर बीज बेचता है उस की दुकान पर छापेमारी की जाए।

केंद्र से मुआवजे की मांग: सुखबीर ने किसानों के लिए केंद्र से आसान दरों पर कर्ज मुहैया करवाने को कहा है ताकि किसान नए सिरे से धान की रोपाई कर सकें और खाद्यान्न भंडार में योगदान दे सकें। सुखबीर ने कहा जिन किसानों की 70 फीसदी फसल का नुकसान हुआ है उन्हें 5 हजार,50 से 70 फीसदी फसल का नुकसान होने वालों को तीन हजार रुपए और जिनका 50 फीसदी से कम नुकसान हुआ है उन्हें दो हजार रुपए प्रति एकड़ का मुआवजा दिया जाएगा।

यह केंद्र के नियमों से कहीं अधिक है। पटियाला सबसे ज्यादा प्रभावित : पटियाला जिले के गांव बाढ़ की चपेट में सबसे ज्यादा आए हैं। यहां के 234, लुधियाना के 200,फतेहगढ़ साहिब के 190, रोपड़ के 58,मोहाली के 55 और संगरूर जिले के 26 गांव प्रभावित हुए हैं। घघ्गर और टांगरी में 32 स्थानों पर आए दरारों ने 1966 किमी सड़कों को भी नुकसान पहुंचाया है। पिछले 24 घंटों मंे गुरदासपुर के भीमपुर मंे 40 मिमी और 27 मिमी माधोपुर में बरसात हुई इसके अलावा रोपड़ में 20 मिमी,28 मिमी आदमपुर और दस मिमी सिसवां में भी बरसात नोट की गई।



यहां नहीं मिली राहत सामग्री
घग्गर व टांगरी नदी के कुप्रभाव झेल रहे जिले के दो दर्जन गांव अभी भी गंभीर स्थिति से गुजर रहे हैं। इन गांवों में न तो खाने—पीने का सामान पहुंच पाया है और न ही पशुओं के चारे की व्यवस्था हो पाई है।

यदि दो—तीन दिनों में इन गांवों में राहत कार्य शुरू न किए गए तो लोगों के साथ—साथ जानवरों की जिंदगी भी खतरे में पड़ सकती है। जिले में सबसे गंभीर स्थिति पंजाब हरियाणा सीमा के निकटवर्ती गांव औजा, मेहताबगढ़, बिंजल, एरुकलां व एरुखुर्द, ढगडोली, रताखेड़ा व मोलगढ़ गांव में बनी हुई है। इन गांवों से लिंक पूरी तरह से टूट चुका है। रविवार को इन गांवों में डीसी ने दौरा करके स्थिति को जाना।

डीसी ने बनाई राहत टीम: बाढ़ की मार झेल रहे इन गांवों में सुविधाएं मुहैया करवाने के उद्देश्य से डिप्टी कमिश्नर ने छह सदस्यीय राहत टीम गठित की है। इनमें फूड एंड सप्लाइज अधिकारी, पशुपालन व सेहत कार्यालय के डॉक्टर, गांव का सरपंच, रेवेन्यू अधिकारी तथा पीडब्ल्यूडी अधिकारी शामिल हैं। इस टीम का प्रतिनिधित्व हल्के का एडीएम व तहसीलदार करेगा। यह टीम बाढ़ से प्रभावित गांवों का दौरा कर वहां सुविधाएं मुहैया करवाएगी। हालांकि सड़क टूटने के कारण इन गांवों में राशन नहीं पहुंच पा रहा है।

Monday, July 5, 2010

PUNJ VARDAN PRODUCTIONS: A TRAGEDY 1984 amar sahaheed Sant Bhindrawale

PUNJ VARDAN PRODUCTIONS: A TRAGEDY 1984 amar sahaheed Sant Bhindrawale: "punj vardan production shortly presents A TRAGEDY 1984 a tribute to Amar Shaheed Sant Jarnail Singh Bhindrawale"

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शयन मुद्रा बताती है आपका व्यक्तित्व

मनुष्य का लगभग आधा जीवन सोने में व्यतीत होता है। हर मनुष्य का सोने का तरीका एक-दूसरे से भिन्न होता है। आपके सोने का तरीका आपके क्रियाकलापों, मन की बातों, आदतों एवं आपके विषय में बहुत कुछ सच-सच बता सकता है। सामुद्रिक शास्त्र व शरीर लक्षण विज्ञान के अंतर्गत इस संबंध में विस्तृत जानकारी मिलती है।
पांवों को कसकर सोना- अगर आप सोते समय पांवों को जकड़ लेते हैं और सारे शरीर को ढककर सोने की आदत है तब निश्चय ही आपका जीवन संघर्षपूर्ण रहेगा।
शरीर सिकोड़कर सोना- नि:संदेह आप डरपोक हैं। असुरक्षा की भावना आपके मन में घर कर गई है। आपको सदैव एक अंजाना सा भय अनुभव होता है आप यह बात किसी को बताते नहीं हैं।
चित्त सोना- अगर आपको केवल सीधे लेटकर नींद आती है तो यह शुभ लक्षण हैं। आप केवल आत्मविश्वासी ही नहीं आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी भी हैं। आप समस्याओं का समाधान तुरंत कर देते हैं।
पेट के बल सोना- आपमें अंजान भय की भावना है। आप किसी भी प्रकार का खतरा उठाने के लिए तैयार नहीं होते। आप अपनी गलती को अच्छी तरह जानते हैं पर बतलाते हुए डरते हैं।
टांग पर टांग रखकर सोना- आप संतुष्ट, सहनशील व तृप्त हैं। दूसरे प्रसन्न रहें, आप भी सुखी रहें। सदैव यह इच्छा आपके मन में होती है। निश्चय ही आपका जीवन सुखी है।
करवट लेकर सोना- आप अत्यंत समझौतावादी हैं। साफ-सुथरे रहना, अच्छा भोजन करना आपको प्रिय है। खोज करना आपका शौक है। आपका जीवन आदर्श है। यह आपकी उन्नति का सूचक है।
सोने से पहले टांग हिलाना- सोते समय टांग हिलाना अच्छे लक्षण नहीं। इसका अर्थ है आप चिंतित हैं। आप स्वयं से ज्यादा परिजनों के बारे में सोचते हैं।

खर्राटे: बीमारी या कुछ और...

खर्राटे लेना एक आम बात है। कुछ लोग इसे एक प्रकार की बीमारी भी मानते हैं। खर्राटे कई प्रकार के होते हैं तथा जातक के स्वभाव के बारे में काफी-कुछ संकेत देते हैं। आवश्यकता केवल इन्हें समझने की है। शरीर लक्षण विज्ञान के विभिन्न प्रकार के खर्राटों पर गहरी खोज की गई है।
खर्राटों से पहली किस्म है संगीतमय खर्राटे। इस प्रकार के खर्राटे बहुत कम तो क्या नहीं के बराबर देखने में आए हैं। संगीतमय खर्राटे लेने वाले व्यक्ति सामान्य होते हैं, पर यह दुर्लभ है। इस प्रकार के खर्राटों से कोई परेशानी नहीं होती।दूसरी किस्म के खर्राटे अचानक उत्पन्न होते और धीरे-धीरे शब्द विहीन हो जाते हैं। यह खर्राटे कानफोड़ू होते हैं। इस प्रकार के खर्राटे लेने वाला व्यक्ति भी सामान्य होता हैं, पर स्वभाव से थोड़े उग्र होते हैं। विश्वासी नहीं होते।
खर्राटों की तीसरी किस्म ऐसी होती है जैसे कोई मंद-मंद हंस रहा हो। इस प्रकार के खर्राटे लेने वाला जातक दब्बू होते हैं। उनका अपना कोई निर्णय नहीं होता। यह स्वार्थी प्रवृत्ति के होते हैं।खर्राटों की चौथी किस्म सबसे अप्रिय और भयानक मानी गई है। यह काफी जोर की ध्वनि करते हैं। ऐसा जातक मद्यप्रिय तथा संतोषी होते हैं।पांचवी किस्म के खर्राटे भी संगीतमय होते हैं। इस प्रकार के खर्राटे लेने वाले जातक सामान्य तथा मृदु स्वभाव के होते हैं। यह समझौतावादी होते हैं।
खर्राटों की छठी व अंतिम किस्म भी भयानक और अप्रिय खर्राटों की ही है। इस प्रकार के खर्राटे लेने वाला व्यक्ति क्रूर और ह्रदयहीन होता है। समझौता करना यह नहीं जानते।

उमर सरकार ने लगाई तीन अखबारों पर पाबंदी

जम्मू में 3 अखबारों के प्रकाशन पर रोक

जम्मू एवं कश्मीर सरकार ने भड़काऊ खबरें छापने के आरोप में जम्मू के तीन समाचार पत्रों के प्रिंटिंग प्रेस सील कर उनके प्रकाशन पर अनिश्चितकाल तक रोक लगा दी गई है। हालांकि इन अखबारों ने सरकार के इस कदम को राजनीति से प्रेरित बताते हुए हाईकोर्ट की शरण ली है।



जम्मू के डीएम एम. के. द्विवेदी के आदेश पर गुरूवार रात इन समाचार पत्रों के प्रिंटिंग प्रेस सील कर दिए गए और प्रकाशन को अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया गया है। जम्मू से प्रकाशित होने वाले इन तीन अंग्रेजी समाचार पत्रों को दिए नोटिस में द्विवेदी ने कहा है कि "द शैडो", "अर्ली टाइम्स" और "ग्लिम्प्स ऑफ फ्यूचर" नामक अखबार भ़डकाऊ सामग्री प्रकाशित कर रहे थे।



समाचार पत्रों के खिलाफ यह कार्रवाई तब की गई जब इनमें दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग में एक हिंदू मंदिर पर भी़ड के हमले की खबरें प्रकाशित हुईं। हालांकि प्रशासन ने इन खबरों का मजबूती से खंडन किया था। अनंतनाग के डीएम जयपाल सिंह ने कहा कि शिवाला मंदिर को क्षतिग्रस्त करने की खबरें बेबुनियाद हैं और यह मंदिर पूरी तरह सुरक्षित है।



हालांकि इन अखबारों ने राज्य सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में रिट याचिका दाखिल की है। इन अखबारों के वकील ए के साहने ने कहा कि अखबारों पर पाबंदी गैरकानूनी है और यह प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सरकार ने मामले की जांच और कारण बताओ नोटिस जारी किए बिना ही यह कदम उठाया है।

अकेले धोनी नहीं इश्क पर कुर्बान

टीम इंडिया के सबसे सफलतम कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी अपने बचपन के प्यार देहरादून की कुड़ी साक्षी रावत को अपनी जीवन संगिनी बनाने का फैसला किया है। इसके पहले के क्रिकेट इतिहास को उठाकर अगर हम देखें तो यह साफ हो जाएगा कि कई ऐसे दिग्गज खिलाड़ी रहे हैं जिन्होंने न सिर्फ खेल के ग्राउंड पर चौके-छक्के जमाए हैं बल्कि प्यार के मैदान में किसी से कम नहीं रहे हैं। ऐसे नामों की सूची में कपिल देव, सुनील गावस्कर, सौरव गांगुली, सचिन तेंडुलकर, वीरेन्द्र सहवाग, मो. अजहरूद्दीन के बाद धोनी शिखर पर हैं।



महेन्द्र सिंह धोनी साक्षी से शादी करके आगे के खिलाड़ियों के लिए एक संदेश छोड़गें कि इश्क के चक्कर में पड़ो जरूर लेकिन उसे किनारे तक भी ले जाओ। रांची के डीएवी स्कूल में बचपन में साथ-साथ पढ़ाई करने वाले कैप्टन कूल को साक्षी इतनी पसंद आई कि उन पर कितने तरह के आरोप लगे लेकिन वे विचलित नहीं हुए। इसी को कहते हैं सच्चा प्यार और आज इसी प्यार को धोनी शादी में बदलने जा रहे हैं।



अगर हम पिछले खिलाड़ियों की प्रेम कहानी पर नजर डाले तो सुनील गावस्कर ने मार्शनील के साथ इश्क होने के बाद शादी कर ली थी। उसके बाद कपिल देव ने उनकी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए रोमी भाटिया को जीवनसंगिनी बनाया था।



इसके बाद मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंडुलकर भला अपने साथी खिलाड़ियों से पीछे कैसे रहते। सचिन तो प्यार के चक्कर में ऐसे पड़े कि उन्हें ज्यादा उम्र का फर्क भी नजर नहीं आया और उन्होंने अपने से पांच साल की बड़ी डॉ. अंजलि से लव मैरिज कर लिया। बंगाल टाइगर सौरव गांगुली ने तो प्यार के चक्कर में अपने परिवार तक से भिड़ गए और डोना से शादी की।



ऐसा नहीं है कि भारतीय क्रिकेट में कुछ चंद खिलाड़ी प्यार करने के बाद शादी के जोड़े में बंधे। अगर इसकी लिस्ट निकाली जाए तो यह काफी लंबी होगी। धोनी के पहले वीरेन्द्र सहवाग, अजहरूद्दीन, बिशन सिंह बेदी, नवाब पटौदी जैसी कई खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्होंने लव मैरिज की है।

साक्षी संग विवाह बंधन में बंध गए माही

देहरादून . यह खालिस माही स्टाइल था। चट सगाई पट ब्याह। टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी मित्र साक्षी सिंह रावत के साथ रविवार को विवाह बंधन में बंध गए। इस मौके पर दोनों के परिजन और करीबी मित्र ही मौजूद थे। रिसेप्शन 7 जुलाई को मुंबई में होगा। सगाई शनिवार को ही हुई थी।



देहरादून में साक्षी के घर शादी को लेकर सुबह से ही काफी हलचल देखी गई। रावत परिवार ने बिधौली में इस शादी के लिए एक फार्महाउस बुक कराया। दोनों परिवारों के सदस्य एक गेस्ट हाउस में एकत्र हुए। पुलिस ने फार्महाउस के आसपास कड़ी सुरक्षा कर दी। मीडिया को वहां पहुंचने का कोई मौका नहीं दिया गया। राजधानी से ४क् किमी दूर एक फार्महाउस में हुए समारोह में बॉलीवुड और क्रिकेट जगत की कई मशहूर हस्तियां नवविवाहित जोड़े को आशीर्वाद देने के लिए मौजूद थीं।



इनमें धोनी के मित्र और बॉलीवुड अभिनेता जान अब्राहम, क्रिकेटर आशीष नेहरा, सुरेश रैना, आरपी सिंह और पीयूष चावला शामिल हैं। बीसीसीआई के अध्यक्ष शशांक मनोहर भी खास मेहमान थे। हालांकि उनके आने की पुष्टि नहीं हो पाई। सचिन तेंडुलकर, वीरेन्द्र सहवाग और गौतम गंभीर शादी में शामिल नहीं हो पाए। बताया जा रहा है कि धोनी 7 जुलाई को मुंबई में रिसेप्शन देंगे।



उसी दिन वह अपना २९ वां जन्मदिन भी मनाएंगे।



ज्यादा पढ़ी-लिखी हैं साक्षी.. २३ वर्षीय साक्षी रावत होटल मैनेजमेंट ग्रेजुएट हैं। 28 वर्षीय धोनी अभी ग्रेजुएट नहीं हो पाए हैं। धोनी के पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि माही और साक्षी हालांकि एक-दूसरे को लंबे समय से जानते थे, लेकिन शादी दोनों परिवारों की सहमति से हो रही है।



आनन-फानन में बजी शहनाई.



बताया जाता है कि यह शादी पहले इस वर्ष अक्टूबर में होनी थी लेकिन व्यस्त क्रिकेट कार्यक्रम को देखते हुए इस शादी को आनन-फानन में जुलाई में ही करा दिया गया है। सगाई के अगले ही दिन शादी की शहनाई भी बज गइ

Sunday, July 4, 2010

साक्षी को दुल्हनिया बनाएंगे माही

साक्षी को दुल्हनिया बनाएंगे माही



बचपन के साथी, माही और साक्षी


नई दिल्ली. शनिवार को अपनी महिला मित्र साक्षी सिंह रावत से सगाई करने वाले टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी चट मंगनी पट ब्याह करेंगे। देहरादून के विश्रांती फार्म हाउस में शाम सात बजे धोनी की शादी होगी।

धोनी अपने परिवार के संग होटल कंपीटेंस में ठहरे हुए हैं। कल माही ने भागिरथ फार्म हाउस में साक्षी के साथ एक निजी आयोजन में अंगूठी बदल कर सगाई की थी।

कप्तान की शादी में शामिल होने के लिए कई साथी खिलाड़ी रवाना हो गए हैं। सगाई में शामिल हुए आशीष नेहरा और हरभजन के साथ गेंदबाज आरपी सिंह, सुरेश रैना भी शादी में शरीक होंगे। माही के जीवन के सबसे बड़े अवसर पर बॉलीवुड अभिनेता जॉन एब्राहम भी पहुंचे हैं। बीसीसीआई प्रमुख शशांक मनोहर और सचिव एन श्रीनिवासन भी कप्तान की शादी में उपस्थित रहेंगे।





हल्दी की रस्म





धोनी की होनेवाली अर्धांगिनी की हल्दी की रस्म विश्रांति रिसोर्ट में संपन्न हुए। शादी की इस रस्म में धोनी और साक्षी के घरवाले शामिल हुए।

नौ को जाएगी टीम, 11 को कप्तान





शादी के बंधन में बंध रहे धोनी श्रीलंका दौरे के लिए टीम के रवाना होने के दो दिन बाद जाएंगे। भारतीय टीम नौ जुलाई को श्रीलंका जाएगी। शादी के कारण धोनी 11 तारीख को रवाना होंगे। भारत को श्रीलंका में तीन टेस्ट मैचों की सीरीज खेलना है। पहला मैच 18 जुलाई से शुरु होगा।





सभी हसीनाओं की दिल की धड़कन रहे कैप्टन कूल महेंद्र सिंह धोनी ने साक्षी सिंह रावत से सगाई कर सबका दिल तोड़ दिया। कई बॉलीवुड बालाओं के साथ प्रेम प्रसंगों की चर्चाओं में रहने वाले माही ने चोरी छुपे प्यार की दुनिया बसा ली। धोनी की छोटी सी लव स्टोरी की दास्तान इस प्रकार रही...

साक्षी और माही स्कूल के समय से दोस्त हैं। पर इतने सालों तक दोनों को एक-दूसरे के लिए पनप रहे प्यार का एहसास नहीं हुआ। धोनी कप्तान बन गए और साक्षी ओरंगाबाद से होटल मेनेजमेंट का कोर्स करने में मशगूल हो गईं।

पर बिपाशा बसु की फिल्म रेस के साथ कैप्टन कूल और साक्षी के बीच मोहब्बत की शुरुआत हुई। बिप्स धोनी की खास दोस्त रही हैं। इसलिए उन्होंने कप्तान को रेस के महूरत पर बुलाया था। वहीं पर धोनी की नजर जब साक्षी से मिली और वो उनमें खो गए।

इसके बाद दोनों के बीच डेटिंग का सिलसिला शुरु हो गया। और नतीजा सबके सामने है। धोनी ने पूरे मीडिया की नाक के नीचे देहरादून में सगाई भी रचा ली।