चीन के हाथों बिका नेपाल, तिब्बतियों की गिरफ्तारी के बदले लेता है पैसे
दिल्ली. नेपाल में चीन के विरोध में होने वाले तिब्बतियों के प्रदर्शन को कुचलने के लिए ड्रैगन वहां की सरकार पर धन की बारिश करता है। इन प्रदर्शनकारियों को कुचलने के लिए नेपाल सरकार पर दबाव बनाने के साथ चीन ने वहां की पुलिस को पैसे बांटकर कई तिब्बतियों को गिरफ्तार भी करवाया है।
खोजी वेबसाइट विकीलीक्स की ओर से जारी किए गए अमेरिकी विदेश मंत्रालय के गोपनीय संदेशों में यह बात सामने आई है कि चीन की सरकार नेपाल के पुलिस अधिकारियों को नकद ईनाम देती है जो चीन छोड़कर भागने की कोशिश कर रहे तिब्बतियों को गिरफ्तार कर उन्हें ड्रैगन के हवाले कर देते हैं।
नई दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास से 22 फरवरी 2010 को अमेरिकी प्रशासन को भेजे गए इस गोपनीय संदेश में अज्ञात सूत्र का हवाला देते हुए कहा गया है कि चीन के दबाव में नेपाल निर्वासित शरणार्थियों पर नियंत्रण कस रहा है। ‘दिल्ली डायरी’ नाम से भेजे गए इस संदेश को ‘गोपनीय’ संदेश की सूची में रखा गया जिसमें इस सूत्र की चार फरवरी को नई दिल्ली में हुई एक बैठक का जिक्र किया गया है। अमेरिकी राजदूतों के ढाई लाख संदेश जगजाहिर कर रही विकीलीक्स ने सूत्र के तौर पर जिस व्यक्ति का नाम लिया गया था उसका नाम हटा दिया है।
संदेश में नेपाल के एक अखबार के हवाले से कहा गया है कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत में प्रवेश करने वाले तिब्बतियों की संख्या में कमी आई है। बीजिंग ने काठमांडू से नेपाल की सीमा पर चौकसी बढ़ाने के लिए कहा है जिससे तिब्बतियों के लिए नेपाल में घुसना मुश्किल हो गया है। इसमें कहा गया है कि मार्च 2008 के बाद भारत में प्रवेश करने वाले तिब्बतियों की संख्या कम हुई है।
नेपाल में करीब 20000 तिब्बती शरण लिए हैं और ल्हासा में 2008 में हुई हिंसा के बाद काठमांडू में चीन विरोधी प्रदर्शन होते रहते हैं। पश्चिमी देशों की ओर से नेपाल पर इन प्रदर्शनों को जारी रहने देने का दबाव है। हालांकि नेपाल मानता है कि तिब्बत चीन का अभिन्न हिस्सा है।
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