Sunday, December 19, 2010

५८ हजार करोड़ का अन्न सड़ गया, गरीब भूखे मर गया
देश में एक तरफ महंगाई बढ़ रही है, 40 प्रतिशत लोगों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल रहा है। दूसरी ओर सरकारी गोदामों में एक साल में 58 हजार करोड़ रुपए का अनाज सड़ गया। अगले साल यह आंकड़ा 1 लाख टन अनाज तक पहुंचने की आशंका है। इसकी कीमत औसतन 1 लाख करोड़ रुपए होगी। यह कहना है भारतीय जनता पार्टी का।

भाजपा का दावा है कि सरकार ने खुद माना है कि 10 लाख टन अनाज सड़ा है, इससे 10 साल तक 6 लाख लोगों का पेट भरा जा सकता था। भाजपा के राष्ट्रीय सचिव एवं प्रदेश के सह प्रभारी किरीट सोमैया ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में आरोप लगाया कि सड़ा हुआ अनाज शराब कंपनियों को दिया जा रहा है। इतना ही नहीं 6 महीने पहले कानून बनाकर सड़े अनाज से शराब बनाने को मान्यता दी बल्कि शराब कंपनियों को सब्सिडी भी दी। सोमैया गुरुवार को यहां सरकारी गोदामों में सड़ रहे अनाज से संबधित दो दिवसीय चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन करने आए थे।

इस अवसर पर पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी, महामंत्री मदन दिलावर, विधायक कालीचरण सराफ और प्रदर्शनी संयोजक सुनील कोठारी एवं विमल कटियार भी थे। भाजपा प्रदेश मुख्यालय में यह प्रदर्शनी दो दिन तक चलेगी। इसके बाद इसे संभाग और जिला मुख्यालयों तक भी ले जाया जाएगा। भाजपा ने कहा कि इस लड़ाई को संसद, विधानसभाओं, सुप्रीम कोर्ट और नीचे ग्राम स्तर पर जाकर लड़ा जाएगा

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