नई दिल्ली. एक अप्रैल से देश के 6-14 आयुवर्ग के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा देना कानूनी रुप से सरकार के लिए जरुरी हो जाएगा। यह सबकुछ संभव हो रहा है बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार एक्ट-2009 की वजह से। केंद्र सरकार ने इस बिल पर पिछले साल ही अपनी मुहर लगा दी थी और तय किया था कि एक अप्रैल 2010 को इसे पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा।
क्या है खासियत
- इस कानून की सबसे बड़ी खासियत यह है कि अब सरकार के लिए उन बच्चों को शिक्षित करना जरूरी हो जाएगा जो 6-14 के आयु वर्ग में आते हैं।
- यह कानून स्कूलों में शिक्षक और छात्रों के अनुपात को सुधारने की बात करता है। मसलन अभी कई स्कूलों में सौ-सौ बच्चों पर एक ही शिक्षक हैं। लेकिन इस कानून में प्रावधन है कि एक शिक्षक पर 40 से अधिक छात्र नहीं होंगे। हालांकि यह कोठारी आयोग की अनुशंसा 1:30 से कम है।
- इस कानून के अनुसार राज्य सरकारों को बच्चों की आवश्यकता का ध्यान रखते हुए लाइब्रेरी, क्लासरुम, खेल का मैदान और अन्य जरूरी चीज उपलब्ध कराना होगा।
- 15 लाख नए शिक्षकों की भर्ती, जिसे एक अक्टूबर तक ट्रेन करना जरूरी है।
- स्कूल में प्रवेश के लिए मैनेजमेंट बर्थ सर्टिफिकेट फिर ट्रासंफर सर्टिफिकेट आधार पर प्रवेश से मना नहीं कर सकता।
- सत्र के दौरान कभी भी प्रवेश
- निजी स्कूल में 25 फीसदी सीट गरीब बच्चों के लिए
क्या है खामियां
- इस कानून की सबसे बड़ी खामी यह है कि इसमें 0-6 आयुवर्ग और 14-18 के आयुवर्ग के बीच के बच्चों की बात नहीं कई गई है। जबकि संविधान के अनुछेच्द 45 में साफ शब्दों में कहा गया है कि संविधान के लागू होने के दस साल के अंदर सरकार 0-14 वर्ग के आयुवर्ग के बच्चों को अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा देगी। हालांकि यह आज तक नहीं हो पाया।
- अंतराष्ट्रीय बाल अधिकार समझौते के अनुसार 18 साल तक की उम्र तक के बच्चों को बच्चा माना गया है। जिसे 142 देशों ने स्वीकार किया है। भारत भी उनमें से एक है। ऐसे में 14-18 आयुवर्ग के बच्चों को शिक्षा की बात इस कानून में नहीं कई गई है।
- इस कानून को केंद्र सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि में से एक बताया जा रहा है। जबकि संविधान में पहले से ही यह प्रावधान है और 2002 में हुए 86वें संशोधन में भी शिक्षा के अधिकार की बात कई गई थी। लेकिन सरकार अब जाकर यह कानून ला रही है। इन आठ सालों में बच्चों की पूरी एक पीढ़ी इस अधिकार से बाहर हो गई।
इतिहास
संविधान के अनुछेच्द 45 में 0-14 उम्र के बच्चों को शिक्षा देने की बात कही गई। 2002 में 86 वें संशोधन में शिक्षा के अधिकार की बात कही गई। 2009 में शिक्षा का अधिकार बिल पास हो सका, एक अप्रैल 2010 में इसे पूरे देश में लागू कर दिया जाएगा।
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