Sunday, May 30, 2010

5 घंटे नंबर नहीं आया, मौत आई

चंडीगढ़. यमुनानगर के जगमोहन सिंह, 60 साल की उम्र और बोनमैरो कैंसर की तीसरी स्टेज। शनिवार को पीजीआई की न्यू ओपीडी में अपने नंबर का इंतजार करते-करते साढ़े चार घंटे बीत गए, पर नंबर नहीं आया। मौत जरूर आ गई।

इस दौरान वह तड़पते रहे, परिजन डॉक्टरों से गुजारिश करते रहे, लेकिन उन्हें मेडिसिन ओपीडी के कमरा नंबर 3001 और 3002 के बीच भटकाया गया। दोपहर 12.30 बजे के करीब जगमोहन की सांसें थम गईं। परिजन घबराए तो डॉक्टर एकाएक बाहर आए। जांच के बाद जगमोहन को मृत घोषित कर दिया गया।

शनिवार सुबह जगमोहन यमुनानगर से इसीलिए जल्दी चले थे कि पीजीआई में पूरा दिन इंतजार करने के बाद भी बारी नहीं आती है। शनिवार को जगमोहन को पांचवं नंबर मिला था, लेकिन उन्हें ओल्ड और न्यू पेशेंट के चक्कर में एक कमरे से दूसरे कमरे तक भटकाया गया। साथ आए घरवालों ने कई बार कहा कि मरीज की हालत गंभीर है, लेकिन कमरा नंबर 3001 और 3002 में बैठे डॉक्टरों ने उन्हें देखना जरूरी नहीं समझा।

जगमोहन पिछले डेढ़ साल से पीजीआई में इलाज करा रहे थे। जगमोहन हरियाणा सरकार के थर्मल प्लांट में काम करते थे। उनके परिवार में पत्नी सहित तीन बेटियां और एक बेटा है। पीजीआई प्रवक्ता मंजू वाडवाल्कर का कहना है कि ओपीडी में डॉक्टर मरीजों को देखने के लिए ही बैठे हैं। डॉक्टरों ने मरीज को बचाने की पूरी कोशिश की, दुर्भाग्य की बात कि ऐसा हो गया। इसकी जांच की जाएगी।

डॉक्यूमेंट रखे, डेथ सर्टिफिकेट दिया

मेडिसिन ओपीडी में डॉक्टरों ने जगमोहन के परिजनों से उनका कार्ड, मेडिकल हिस्ट्री जैसा सारा रिकॉर्ड ले लिया है। जगमोहन की मौत के बाद मेडिसिन ओपीडी में सिक्योरिटी गार्डस को तैनात कर दिया गया और किसी को भी परिजनों के पास जाने नहीं दिया गया। जगमोहन की पत्नी प्रकाश कौर के हाथ में डेथ सर्टिफिकेट थमाकर जगमोहन का पार्थिव शरीर ले जाने के लिए कहा गया। जगमोहन के दामाद तरणजीत सिंह ने बताया, ‘सुबह पांच बजे से यहां आए हुए थे। पिताजी को काफी दर्द हो रहा था। हमने डॉक्टरों को बार-बार बताया। हमसे सारा रिकॉर्ड ले लिया है। ये डेथ सर्टिफिकेट ही दिया है।’

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