Nicolas पेरिस. अलकायदा ने फ्रांस के 11 इंजीनियरों की हत्या पश्चिम से घृणा के चलते नहीं बल्कि फ्रांस द्वारा रिश्वत का पूरा पैसा न देने की नाराजगी में की थी। मामले के तार सीधे फ्रांस के राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी से जुड़ रहे हैं और उनके इस्तीफे की मांग भी उठ रही है। यह मांग कर रहे हैं हादसे में मारे गए इंजीनियरों के परिजन और उनका वकील।
2002 में पाकिस्तान में फ्रांस के 11 नेवल इंजीनियर्स की हत्या अलकायदा द्वारा आतंकी हमले में कर दी गई थी। अभी तक तो यही माना जा रहा था कि यह हमला पश्चिम के खिलाफ अलकायदा के जेहाद का अंग था। लेकिन एक जांच के नतीजे इशारा करते हैं कि यह हादसा दरअसल फ्रांस की राजनीति से जुड़ा है। यहीं पर सरकोजी फंसते नजर आते हैं।
जांच रिपोर्ट के अनुसार, बात सीधे वहां से शुरू होती है जब सरकोजी फ्रांस के बजट मंत्री थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री एडवर्ड बेलादुर को राष्ट्रपति का चुनाव लड़ना था और चुनाव अभियान के लिए आर्थिक प्रबंध सरकोजी को करना था।
इसके लिए उन्होंने लक्जेमबर्ग में ‘हेन्स’ नामक कंपनी खोली। इसका काम फ्रांस की नेवल डिफेंस कंपनी द्वारा विदेश में हथियारों की बिक्री के सौदों में मध्यस्थता करने वालों को रिश्वत देना था। सौदा हो जाता तो हेन्स का तगड़ा कमीशन भी बन जाता।
फ्रांस में उस समय मध्यस्थों को रिश्वत देना तो कानूनी था, लेकिन उसमें भी कमीशन खोरी नहीं।
माना जाता है कि 950 मिलियन डॉलर ( लगभग 4430 करोड़ रुपए) के पनडुब्बी सौदे में पाकिस्तान के नेताओं और सैन्य अफसरों को 80 मिलियन डॉलर (लगभग 370 करोड़ रुपए) की रिश्वत दी गई थी।
17.5 मिलियन डॉलर (लगभग 80 करोड़ रुपए) कमीशन के रूप में वापस फ्रांस आए। इसमें से काफी पैसे का उपयोग बेलादुर ने अपने चुनाव अभियान में किया, हालांकि वे जैक शिराक से हार गए।
शिराक ने राष्ट्रपति बनते ही रिश्वत और कमीशन का यह खेल बंद करवा दिया। अचानक ही यह बंद होने तक 85 प्रतिशत रिश्वत ही पाकिस्तान पहुंच पाई थी। शेष 15 प्रतिशत फिर दी ही नहीं गई। इसका गुस्सा उन 11 इंजीनियर की हत्या कर उतारा गया जो पनडुब्बी सौदे के कारण ही पाकिस्तान गए थे।
मॉरिस के अनुसार लक्जेमबर्ग पुलिस सरकोजी द्वारा हेन्स कंपनी शुरू करने की वजह और तरीके की जड़ तक पहुंच गई थी।
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