व्यक्ति में अगर हिम्मत हो तो वो हर काम कर सकता है। बठिंडा के सुखपाल सिंह ढिल्लों इसका जीता जागता प्रमाण है। जिस उम्र में आम तौर पर बॉडी बिल्डर गेम से सन्यास लेने के कागार पर होता है। उस उम्र में सुखपाल ने बॉडी बिल्डिंग शुरू की। ४२ वर्ष की आयु में सुखपाल का शरीर देख २२ साल के लड़के शर्मा जाते है। सचमुच वो आयु के ४०वें पड़ाव में २५ से अधिक के नही दिखते है।
सुखपाल कहते है कि उनको बचपन से ऐसा कोई शौक नही था कि वो बॉडी बिल्डिंग करे, बस शौकिया तौर पर उन्होंने नौ साल पहले अपनी बॉडी को मेनटेन करने की सोची और २००० में हुए बॉडी बिल्डिंग मुकाबले में गोल्ड मैडल झटक लिया। सुखपाल सिंह कहते है बस तब से बॉडी बिल्डिंग उनके जीवन का अहम हिस्सा बन गई, धीरे -धीरे इस दौर में वो मिस्टर बठिंडा, मालवा, पंजाब बनने के बाद अब नार्थ में हुई गेम में भी गोल्ड मैडल हासिल कर उत्तराखंड में होने जा रही नेशनल फैडरेशन कप के लिए चयनित हो गए। सुखपाल कहते है कि वो फिल्मों में जाने के शौकीन है और शहीद-ए-आजम फेम मशहूर फिल्म के डायरैक्टर बूटा सिंह शाहेद ने उनको ऑफर भी की है।
कैसे शुरू हुआ दौर: सुखपाल सिंह बताते है कि उनका जन्म १९६८ बठिंडा में हुआ। कराटे का शौक होने के कारण आर्मी के ए.शक्ति वैल से कराटे की ट्रेनिंग लेने लगे और तीन साल ट्रेनिंग लेने के बाद उन्होंने गोवा टेस्ट में ब्लैक बैल्ट हासिल कर बठिंडा के गुरू नानक देव पब्लिक हाई स्कूल में कराटे सिखाने लगे। उनकी प्रतिभा और जोश को देखते हुए बिना इंटरव्यू के ही उनको बठिंडा कैंट स्कूल के केवी-१,४ और ५ में कराटे की ट्रेनिंग देने के लिए कोच रख लिया। तीन साल की जर्बदस्त ट्रेनिंग दे उन्होंने तकरीबन २५० से अधिक खिलाडिय़ों को नेशनल प्रतियोगिता तक पहुंचाया व कई गोल्ड मैडलिस्ट बनाए। उनके सिखाने के अंदाज से प्रभावित खिलाड़ी उनके घर पर आने लगे और जिस कारण १९९५ में उन्होंने स्टेली मार्शल आर्ट के नाम से घर पर भी ट्रेनिंग देनी शुरू क र दी। २००१ में बॉडी बिल्डिंग के शौक ने उनको पहली बार मिस्टर बठिंडा बॉडी बिल्डिंग का खिताब दिलाया। उसी दौरान उन्होंने अपना ब्रूनी नाम पर जिम चलाना शुरू किया। सीनियर बॉडी बिल्डिंग स्टेट जांलधर में भी उनका प्रभाव अन्य बॉडी बिल्डरों से देखे न बना और जीत उनको को मिली। इसके मास्टर वेट में उन्होंने २००७ में तरनतारन में भाग लिया और दूसरा स्थान हासिल किया। एज ग्रुप होने के कारण ४३वीं उत्तराखंड २००८ नार्थ बीकानेर में उनकी हिम्मत और हौसलों ने उनको गोल्ड मैडल से नवाजा गया। इसके बाद २००८ लुधियाना में हुई शेरू कलासक मास्टर गुप्र बॉडी बिल्डिंग में उनका सैकेंड प्लेस रहा। साल २००९ में ओपन मिस्टर मालवा में सुखपाल सिंह का स्थान तीसरा रहा। इसी जीत के दौर वो आगे बढते गए और ३१वीं मिस्टर पंजाब में उनको फिर से पंजाब का सबसे बेहतर बॉडी बिल्डिर बना दिया, और जनवरी में होने वाले ४८वीं नेशनल फैडरेशन कप, उत्तराखंड में उनकी सलेंक्शन हो गई है।
कड़ी मेहनत से बनती है बॉडी: सुखपाल मानते है कि यदि बॉडी की को सही आकार देना है तो जरूरी रोजाना खाने वाला डाईट पर भी ध्यान दिया जाए। सुखपाल बताते है कि उनकी डायईट उनकी प्रसनेल्टी का असली राज है। वो रोज सुबह छह बजे उठ कर हाई प्रोटीन शेक लेकर दो घंटे लगातार कसरत करते है। उसके बाद एक घंटे बाद नौ बजे ब्रेकफास्ट करते है जिसमें वो १० उबले हुए अंडों का सफेद भाग मल्टीविटामिन व हॉटमील्स का सेवन करते है व साथ में विटामीन-सी की मात्रा १००० एमजी लेते है जो साधारण व्यक्ति के लिए ५०० एमजी काफी होती है।
दोपहर दो बजे चावल के उबला हुआ चिकन, दही व सलाद लेते है। इस दौरान वो घंटे बाद एक गिलास पानी का सेवन करते रहते है। शाम को छह बजे प्रोटिन शेक लेने के बाद सात बजे से नौ बजे तक कसरत करते है। नौ बजे रात्रि के भोजन में अमीनो ऐसिड, १० उबले अंडों का सफेद भाग, दाल, दो चपाती, सलाद व दही लेते है। एक घंटे के बाद पानी पी कर सो जाते है। सुखपाल बताते है कि उनका सारा खाना यूएसए मील से मंगवाते है। जिसकारण उनके माह के खाने की कीमत लगभग १५ हजार से २० हजार रुपए तक आ जाता है।
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