इस्लामाबाद। अमेरिका अब अपनी जमीन पर किसी आतंकी हमले में पाकिस्तान का हाथ साबित होने पर सिर्फ कोरी धमकी नहीं देगा। ये संकेत अफगानिस्तान में तैनात अमेरिकी सेनाओं की पाकिस्तान पर हमले की रिहर्सल से मिले हैं। सेनाओं ने बिना गोला-बारूद के इस कवायद को अंजाम दिया है।
दो दिन पहले ही अमेरिका ने अपने यहां आतंकी वारदात होने की स्थिति में पाकिस्तान पर हमले की चेतावनी दी थी। हालांकि, अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि ऐसी कोई भी कार्रवाई केवल चरम हालात में ही की जाएगी। लेकिन अब लगता है कि आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पाकिस्तान की बार-बार बदलती पैंतरेबाजी से अमेरिका का संयम डगमगाने लगा है। न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर में कार बम बरामद होने के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने आतंकी तत्वों को गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी। अब इस रिहर्सल से अमेरिका ने पाकिस्तान को इसी गंभीर कार्रवाई के अगले कदम का संकेत दिया है।
ऐसे हुई रिहर्सल: पाकिस्तानी दैनिक डॉन के अनुसार, रिहर्सल में कं:यूटर सिम्युलेशन के जरिए यह आंका गया है कि पाक में घुसने पर अमेरिकी सेनाओं को कहां चुनौती का सामना करना पड़ सकता है। इससे निपटने के लिए क्या जवाबी कार्रवाई की जानी चाहिए। अमेरिकी सेना ने पाकिस्तान को इस रिहर्सल के बारे में पूरी जानकारी दी थी।
पहले भी हुई थी रिहर्सल : नवंबर 2008 में मुंबई हमले के बाद तत्कालीन बुश प्रशासन ने भी हमले के लिए पाकिस्तान की सीमा पर इससे मिलती-जुलती रिहर्सल की थी। इससे पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार महमूद अली दुर्रानी भी इस कदर खौफजदा हो गए थे कि वे अमेरिकियों को समझाने वॉशिंगटन पहुंच गए। उन्होंने वहां दलील पेश की कि ऐसी कार्रवाइयों से आतंक के खिलाफ जंग में कोई मदद नहीं मिलेगी। साथ ही पाक के लोकतांत्रिक ढांचे को भी नुकसान पहुंच सकता है। इस दलील के बाद पाकिस्तान पर हमले की योजना को टाल दिया गया था। पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी ने भी पाक की जमीन से किसी आतंकी साजिश को रोकने में पूरी मदद का भरोसा दिलाया था।
साफ चेतावनी : वॉशिंगटन में अपने सूत्रों के हवाले से :डॉन– ने बताया है कि अमेरिका ने पाकिस्तान को फिर यह चेतावनी देने के लिए हमले की योजना बनाई है कि वह अपनी जमीन पर साजिश रच रहे आतंकियों को जड़ से खत्म करे। अमेरिकियों का मानना है कि पाकिस्तानी सरकार में जेहादियों के प्रति सहानुभूति रखने वाले लोग अभी भी मौजूद हैं। खासतौर पर ऐसे जेहादियों से, जो जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद फैलाने में जुटे हैं।
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