लंदन। कैलिफोर्निया में एक बी-52 विमान से छोड़े गए प्रायोगिक विमान (स्क्रेमजेट) ने अपनी पहली ही उड़ान में ध्वनी से छह गुना गति हासिल करने का रिकार्ड बनाया है। हालांकि यह प्रायोगिक विमान मात्र तीन मिनट के लिए ही उड़ा।
प्रयोग से खुश कैलिफोर्निया की एयर फोर्स रिसर्च लैबोरेटरी के प्रोग्राम मैनेजर चार्ली ब्रिंक ने कहा कि यह बहुत बड़ी सफलता है। इससे जेट टेक्नाोलॉजी उसी तरह बदल जाएगी जैसे दूसरे विश्वयुद्ध के बाद प्रोपेलर से चलने वाले विमानों की जगह जेट इंजन के विमानों ने ले ली थी। चार्ली ने कहा कि इस तकनीक की मदद से लंदन से सिडनी तक की उड़ान मात्र दो घंटों में पूरी की जा सकेगी।
मुलार्ड स्पेस साईंस लैबोरेटरी के डॉ. एंड्रिय कोट्स ने कहा कि इस विमान में यात्रा करना किसी साधारण जेट में यात्रा के बजाए राकेट में सवार होने जैसा होगा। यात्रियों को इस विमान में जीसूट पहनकर बैठना होगा जो शरीर पर होने वाले दुष्प्रभावों से बचाएगा क्योंकि इसकी गति सात हजार किमी प्रति घंटे से ज्यादा होगी।
स्क्रेमजेट विमान का विकास अभी प्राथमिक दौर में है। ब्रिटिश वैज्ञानिकों ने इसके डिजाइन पर काम किया है पर इसकी व्यावसायिक उड़ान दस साल बाद 2020 में ही संभव हो पाएगी। क्रानफील्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जन फील्डिंग ने कहा कि स्क्रेमजेट की व्यावसायिक उड़ानों के संभव हो पाने में खर्च सबसे बड़ा अड़ंगा है।
क्या है स्क्रेमजेट
स्क्रेमजेट सुपर सोनिक गति से इंजन के अंदर आ रही आक्सीजन के हाइड्रोजन के साथ जलने पर चलता है। साधारण जेट इंजिन में गोल घूमते ब्लेड वातावरण से ऑक्सीजन को इंजन के अंदर खींच कर व्हाइट पेट्रोल को जलाते हैं, जिससे एरोप्लेन उड़ता है। स्क्रेमजेट और जेट के बीच का इंजन होता है रैमजेट जो कि वायु की गति से कम गति पर हवा को खींच कर ईंधन को जलाता है।
क्या है स्क्रेम जेट का उपयोग
स्क्रेमजेट का प्रयोग सफल रहने और इस तकनी के व्यवहारिक बन जाने पर उपग्रहों की लांचिंग का खर्च काफी कम हो जाएगा। क्योंकि राकेटों में ईंधन के साथ तरल ऑक्सीजन नहीं भरनी पड़ेगी। गौरतलब है कि अपनी हर उड़ान के दौरान अमेरिकी स्पेस शटल करीब साढ़े चार लाख किलो तरल ऑक्सीजन ले जाते हैं।
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