
वैसे विभागीय अधिकारियों की मानें तो सिंगल गैस कनेक्शन के नाम पर तीन सौ करोड़ रुपए का हर साल घोटाला होता है। राज्य में जिन लोगों के पास गैस के दो सिलेंडर हैं उन्हें मिट्टी का तेल नहीं मिलता है, जबकि जिनके पास एक सिलेंडर है उन्हें तीन लीटर और जिनके पास नहीं हैं उन्हें पांच लीटर मिट्टी का तेल मिलता है।
चूंकि वर्षो पहले बने राशन कार्ड की किसी ने जांच नहीं की, इसलिए जिन्होंने गैस कनेक्शन ले लिए हैं, उनमें से ज्यादातर के राशन कार्ड में तो यह दर्ज कर के उनका केरोसिन कोटा बंद कर दिया गया है, लेकिन इसकी पूरी जानकारी विभाग को नहीं दी गई है। माना जाता है कि इसमें विभागीय अधिकारियों की भी मिलीभगत है, क्योंकि जिन राशन कार्ड धारकों को गैस कनेक्शन मिल गए हैं, उनके हिस्से का बचता केरोसीन खुले बाजार में 25 रुपए तक बिक रहा है, जबकि राशन कार्ड पर लेने पर इसकी कीमत 12 रुपए प्रति लीटर है।
पूरी कर ली है जांच : कैरों
मंत्री आदेश प्रताप सिंह कैरों का दावा है कि सभी राशन कार्ड धारकों की जांच पूरी कर ली है। अब केरोसिन केवल बीपीएल, नीला और लाल कार्ड धारकों को देने का प्रोग्राम शुरू किया है। राशन कार्ड और गैस कनेक्शन जैसी सुविधाओं को लेने के लिए यूआईडी लेना अनिवार्य किया जा रहा है।
किसी के पास जवाब नहीं
पंजाब में 25 लाख परिवारों को केरोसिन मिल रहा है, लेकिन राज्य में मात्र 4.50 लाख परिवार ही गरीबी रेखा के नीचे हैं। नीले कार्ड और दंगा पीड़ितों के कार्डो की संख्या 15.56 लाख से अधिक नहीं है। शेष परिवारों का केरोसिन कहां जा रहा है? इसका जवाब कोई भी विभागीय अधिकारी देने को तैयार नहीं है
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