Thursday, January 6, 2011

खुशप्रीत खाकी राजनीति की बलि चढ़ा

चंडीगढ़. चंडीगढ़ पुलिस के अफसरों में को-ऑर्डिनेशन की कमी और एक-दूसरे को नीचा दिखाने की भावना खुशप्रीत की मौत का कारण बनी है।

यदि चंडीगढ़ पुलिस के क्राइम ब्रांच, इंटेलीजेंस और अन्य अफसर मिल-जुलकर काम करते तो खुशप्रीत को अपहर्ताओं के चंगुल से छुड़ाया जा सकता था और उसकी जान बच सकती थी। लेकिन इंटेलीजेंस अभी तक अपहर्ताओं के मोबाइल तक ट्रेस नहीं करवा पाई। चंडीगढ़ पुलिस में राजनीति पूरी तरह हावी है। बड़े अफसर एक-दूसरे को एसएसपी के सामने नीचा दिखाने के लिए कुछ भी कर जाते हैं।

खुशप्रीत के केस में भी को-ऑर्डिनेशन से काम न होने के पीछे यही राजनीति कारण बनी रही। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चंडीगढ़ पुलिस के एक अफसर से बात करने पर उन्होंने कहा कि यदि केस उनके पास होता तो आसानी से हल हो जाता और खुशप्रीत की जान भी बच जाती।

क्राइम ब्रांच की भूमिका पर सवालिया निशान

खुशप्रीत केस में चंडीगढ़ क्राइम ब्रांच की भूमिका पर सवालिया निशान लग गया है। जब से खुशप्रीत किडनैप हुआ, तब से क्राइम ब्रांच न तो अपहर्ताओं के मोबाइल फोन ट्रेस करके उन तक पहुंच सकी और न ही यह तक पता लगा सकी कि अपहर्ता बुड़ैल के ही हैं या किसी बाहरी क्षेत्र के। अब पुलिस को इस बारे में कोई जवाब देते नहीं बन रहा।

राज्यों को लेकर मतभेद

चंडीगढ़ में पंजाब और हरियाणा दोनों प्रदेशों के पुलिस अफसर हैं। कई जगह तो हरियाणा के अफसर पंजाब के अफसरों को पसंद ही नहीं करते। बताया जाता है कि हरियाणा के अफसर चंडीगढ़ में अपना दबदबा कायम रखना चाहते हैं और पंजाब के अफसरों को नीचा दिखाने में लगे रहते हैं। इन दोनों राज्यों के पुलिस अफसरों में तालमेल की कमी होने का असर कई केसों पर पड़ता है

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