Wednesday, January 5, 2011

अलविदा खुशप्रीतः शहर की जनता को चाहिए जवाब

चंडीगढ़, मोहाली. शहर में दिन प्रतिदिन क्राइम बढ़ता जा रहा है। ठंडे मौसम में पुलिस अफसरों का रवैया भी ठंडा नजर आ रहा है। ऐसे में शहर की जनता को जवाब चाहिए कि आखिर उनकी सुरक्षा किसके भरोसे है। दिनदहाड़े बुड़ैल से बच्चे की किडनैपिंग, किडनैपर्स ने चार लाख रुपये बतौर फिरौती भी वसूले और उसके बावजूद पुलिस हाथ पर हाथ धर कर बैठी रही। जिसका नतीजा यह निकला कि पांच साल के मासूम की बेरहमी से हत्या कर लाश थैले में डालकर सड़क किनारे फेंक दी गई।

खुशप्रीत की हत्या की सूचना ने बुधवार को शहरवासियों के मन में आक्रोश भर दिया। बुड़ैल में लोग सड़क पर उतर आए और पुलिस चौकी की तरफ बढ़ने लगे। उनकी प्रतिक्रिया इस तरह की थी मानो खुशप्रीत उनका ही बेटा था। भीड़ ने पुलिस चौकी को घेर लिया और पथराव करने लगे। लोगों का आरोप था कि पुलिस ने इस केस में भारी लापरवाही बरती है जिसका नतीजा है कि अब खुशप्रीत जिंदा नहीं है। भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया वहीं हवाई फायर करते हुए आंसु गैस भी फेंकी।

आलम यह था कि सेक्टर 44—45 के डिवाइडर के दूसरी तरफ सेक्टर 44 की ओर से बुड़ैल घर आ रहे लोगों को भी जमकर पीटा। सेक्टर 44 से बुड़ैल घर जा रहे धर्मपाल को जमकर पीट डाला। धर्मपाल को यह भी पता नहीं था कि यह बवाल क्यों है। लेकिन चंडीगढ़ पुलिस ने धर्मपाल की बात सुने बगैर ही जमकर धुनाई कर डाली।

इस दौरान कोई भी पुलिस अधिकारी मौके पर मौजूद नहीं था, वहीं प्रशासन के अधिकारी भी नदारद थे। चंडीगढ़ पुलिस के दंगा रोधक वाहन तथा वाटर कैनन वेन की भी लोगों ने परवाह नहीं की। भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पुलिस बिजली विभाग का भी सहारा लिया और पूरे इलाके की लाइट गुल कर दी गई। बुडै़ल में रात को अघोषित कफ्यरू जैसा माहौल रहा।

घरों में आंसू गैस के गोले

बुडै़ल मार्केट कमेटी के प्रेसिडेंट बलजिंद्र सिंह गुजराल के मुताबिक पुलिस ने घरों में घुसकर आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी फेंका। उनकेमुताबिक पुलिस ने निर्दोष लोगों को भी पीटा। उन्होंने लोगों के गुस्से को जायज ठहराया और कहा कि जब तक खुशप्रीत की मौत के जिम्मेदारों को सजा नहीं मिल जाती तब तक गुस्सा शांत नहीं होगा।

घटनास्थल पर पहुंचे लोग

खुशप्रीत की मौत की खबर मोहाली में जंगल की आग की तरह फैली। हर कोई मौत का कारण जानने के लिए उत्सुक था। फेज-10,11 तथा 9 के लोग भारी संख्या में जिस जगह से लाश मिली वहां इक्ट्ठे होने लगे। जिन्हें काबू करने के लिए पुलिस को काफी मशक्कत करनी पड़ी। घटना स्थल के आसपास लोगों की भीड़ जमा रही।

मोबाइल पर बता रहे थे साथियों को घटना

जो लोग घटना स्थल पर पहुंचे हुए थे वे खुशप्रीत की लाश मिलने की बात अपने साथियों को मोबाइल फोन के जरिए बता रहे थे। सभी के बताने का तरीका ऐसा था मानो उनका कोई अपना उनसे जुदा हो गया हो। चारों ओर लोग कान से मोबाइल लगाकर इसकी जानकारी आगे बांट रहे थे।

पुलिस अधिकारी भी हुए आहत

मोहाली पुलिस का जो भी अधिकारी घटना स्थल का मुआयना करने आया वह भी खुशप्रीत की मौत से आहत दिखाई दिया। उनके अंदर छिपा बच्चों को प्यार करने का जज्बा भी दिखाई दिया। हरेक अधिकारी लाश को देखकर शेम-शेम कह रहा था।

बहुत बुरा किया दरिंदों ने

मोहाली के फेज-8 निवासी संदीप गुप्ता ने बताया कि उन्हें जब इस घटना के बारे में पता चला तो एकाएक फेज-10 में घटना स्थल पर पहुंचे। उन्हांेने कहा कि बच्चे को मारकर दरिंदों ने बहुत बुरा किया है। सेक्टर-48सी निवासी महिला परवीन कुमारी ने कहा कि जब उन्हें पता चला कि खुशप्रीत की लाश मिली है। ये बात सुनते ही उनकी रुह कांप उठी।

जिसका डर था वही हो गया

झाड़ियों में पड़ी लाश पर अपने बच्चे के स्कूल की वर्दी देख खुशप्रीत के पिता सन्न रह गए। उनके रिश्तेदार उन्हें संभाला जा रहा था, लेकिन वह संभाले भी संभल नहीं रहे थे। ऐसा लग रहा था कि मानो उनकी दुनिया उजड़ गई। रिश्तेदारों ने बड़ी मुश्किल से संभाला खुशप्रीत के पिता ने कहा कि जिसका डर था वहीं कर दिया।

पुलिस की पोल खुली

पुलिस बिना वजह शहर के लोगों को तंग करती है। खुशी के मामले में पुलिस ने किडनैपर्स को चार लाख रुपये भी दिलवा दिए और बच्चे को भी नहीं बचा पाई। ऐसे में किडनैपर्स ने पुलिस की पोल खोल कर रख दी है। पुलिस के आपसी खींचतान का ही यह नतीजा है।

पीसी सांघी, फॉसवेक चेयरमैन

पुलिस फेल रही

शहर में कानून व्यवस्था को बनाए रखने में पुलिस पूरी तरह से फेल रही है। जिसका खामियाजा आज खुशी के परिवार को भुतना पड़ रहा। अगर पुलिस समय रहती किडनैपर्स को पकड़ लेती तो शायद आज खुशी जिंदा होता।

रामबीर भट्टी महासचिव, भाजपा

ढुलमुल रही कार्रवाई

मासूम खुशी की हत्या के लिए पुलिस की ढुलमुल कार्रवाई ही जिममेदार है। अगर पुलिस समय रहते रही रणनीति बनाकर कार्य करती तो मासूम खुशी की अमूल्य जान को बचाया जा सकता था।

सुशील गुप्ता, सिटीजन काउंसिल फॉर ह्यूमन राइट्स

शर्मनाक है यह

खुशप्रीत की मौत के लिए चंडीगढ़ पुलिस जिम्मेदार है। बुड़ैल चौकी और सेक्टर 34 थाना प्रभारी को नौकरी से बर्खास्त किया जाना चाहिए। अधिकारियों का पिछला रिकार्ड सामने आए। यह पुलिस के लिए स्थिति शर्मनाक है।

दिनेश चौहान, कन्वीनर एबीवीपी

नाकाम पुलिस

लोगों द्वारा पुलिस के खिलाफ किया जा रहा ये दंगा बिल्कुल जायज है। पुलिस खुशप्रीत के अपहरणकर्ता को पकड़ने में नाकाम रही है। उनके साथ ऐसा ही व्यवहार होना चाहिए।

मंदीप सिंह, निवासी बुड़ैल

कार्रवाई हो

सिर्फ अफसरों को लाइन हाजिर करने से कुछ नहीं होगा, जो लोग खुशप्रीत के केस की जांच कर रहे थे, उन सभी को बर्खास्त करना चाहिए ताकि सभी को सबक मिले।

पुष्पिंदर सिंह

पुलिस साबित करे अपनी मौजूदगी

पिछले कुछ अरसे से चंडीगढ़ पुलिस की साख लगातार गिरी है। शहर में होने वाली वारदातों को सुलझाने में चंडीगढ़ पुलिस नाकाम रही है। पिछले साल ही सेक्टर 38 वेस्ट में नेहा मर्डर केस न सुलझा पाने के बाद अब चंडीगढ़ पुलिस एक और केस मे नाकाम रही है। बतौर शहरी आम लोग पुलिस के भरोसे ही खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। लेकिन अब चंडीगढ़ में यह विश्वास डगमगाने लगा है। चंडीगढ़ पुलिस को अपनी घटती साख को हासिल करने के लिए ठोस नीति तय करनी होगी। इसके बाद पुलिस को शहर में अपनी मौजूदगी साबित करनी होगी।

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