Friday, January 7, 2011

प्याज पर हाहाकर लेकिन 400 रुपए किलो के लहसुन पर सब चुप हैं?


 

नई दिल्ली।
प्याज की मंहगाई पर सब लोग गुहार मचाए हुए हैं लेकिन 400 रूपए किलो बिक रहे लहसुन पर किसी की नज़र नही है सब चुप हैं। इन दिनों लहसुन के खुदरा मूल्य 30-40 रूपए प्रति सौ ग्राम बिक रही है, लेकिन लहसुन की इस महंगाई पर मीडिया से लेकर सरकार भी कुछ नहीं बोल रही है। जबकि भारतीय रसोईं के लिए जितना प्याज का महत्व है उतना ही महत्व लहसुन का भी है। लहुसन भारतीय रसोईंये के अलावा कई आयुर्वेदिक दवाओं में भी इसका बड़ी मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है। फिलहाल बाजार में लहसुन की औसत कीमत 400 रूपए प्रति किलो है। पिछले कुछ महीनों से भारतीय खुदरा बाजार पर जैसे किसी तरह की कोई नियंत्रण सरकार का नहीं रह गया है। फिलहाल दिसंबर माह में खाद्य पदार्थों के जारी मुद्रास्फीति की दर से भी यही पता चलता है कि सरकार ने शायद यही ठान लिया है कि बढ़ने दो मंहगाई और लहसुन प्याज के दामों को!
 
 प्याज के बढ़ते दामों पर जहां चारों तरफ एक तरह से हाहाकार मचा हुआ है वहीं 30-40 रूपये किलों बिकने वाला लहुसन 300-400 रूपए किलो के भाव से बिक रहा है। देश के कई प्रमुख थोक सब्जी के बाजारों में दिसंबर माह में मुंबई के वाशी के मंडी में लहसुन का थोक भाव करीब 450-500 रुपए किलो बिका। जबकि इसी लहसुन को खुदरा विक्रेताओं ने करीब 650 से 750 रुपए प्रति किलो दिसंबर माह में बेचा गया। दिल्ली के कई खुदरा बाजारों में लहसुन के भाव करीब 450 रूपए किलो रहे। इस समय भी लहसुन के भाव इतना ज्यादा है कि आम आदमी लहसुन को खरीदकर खाने की बात तो छोड़ दे उसे सूंघ भी नहीं सकते हैं।
 
लहसुन की बड़ी पैदावार उत्तर भारत के किसान करते हैं। बढ़े हुए लहसुन के दामों के बारे में तर्क दिया जा रहा है कि इस बार उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश. राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार और पंजाब में लहुसन की पैदावर कम हुई है जिसकी वजह से लहुसन के दाम और चांदी के दाम किसी न किसी रूप में बराबर चल रहा है। इस समय थोक मंडी में सुपर बंपर लहसुन 140 रुपये से बढ़कर 350 रुपये से 400 रुपये तक, लंबा लहसुन 160 रुपये से बढ़कर 375 रुपये से 425 रुपये और मोटा लहसुन 200 रुपये से बढ़कर 450 रुपये तक हो चुका है। इस तरह अगर हम प्याज से लहसुन की तुलना करें तो प्याज के वर्तमान दामों से लहुसन के दाम 10 गुना से अधिक है।
 
उधर सूत्रों का कहना है कि किसी भी खाद्य चीजों का दाम बढ़ाने में दो कारक काम करते हैं। एक तो सरकार का इसमें कोई हाथ होता है दूसरा जमाखोरी और कालाबाजारी इसका सबसे बड़ा कारण है। सरकार की इसमें एक सबसे बड़ी चाल होती है कि पहले किसी चीज के दामों को बेताहासा वृद्धि करना इसका सीधा उपाय बाजार में जितनी खपत है उसका 50-60 प्रतिशत को रोक देना उसके बाद दामों में बेतहासा वृद्धि होती है। जैसे बाजार में प्याज की कीमत जहां 15 रूपए किलो थी वही प्याज 70-80 रूपए प्रति किलो बढ़ा दी गयी। अब उसे सस्ता बताकर 40-45 रूपए किलो बेचा जा रहा है। यह लोगों को बेवकूफ बनाने की सबसे बड़ी चाल होती है। यही हाल लहसुन की है 35-40 रूपये किलो का लहसुन करीब 400 रूपए किलो बेचा जा रहा है। लेकिन इस तरफ किसी की कोई नज़र नहीं जा रही है। सबसे बड़ी बात तो है कि इसका फायदा छोटे और मझले किसानों को न के बराबर मिल पाता है जबकि सबसे बड़ा फायदा दलालों और बड़े व्यापारियों का होता है। इसमें भी सबसे बड़ी भूमिका स्थानीय और कुछ बड़े नेताओं की होती है। जो बढ़ाने वाले मूल्यों को जमकर खेलते हैं और आम जनता हाय-हाय करती रह जाती है

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