जीवन शैली से जुड़ी बीमारियों का वर्ष
आधुनिक विकास के साथ-साथ आधुनिक बीमारियां भी धीरे-धीरे अपनी जगह बना रही हैं। 2010 में इस जीवन शैली से उत्पन्न बीमारियों से निपटना हमारे लिए एक बड़ी चुनौती होगी। निश्चित तौर पर तनाव बढ़ेगा, काम के लंबे घंटे होंगे। बोझ व चिंताएं दुगुनी होंगी। ऐसे में पुरानी बीमारियों के बढ़ने के साथ नई बीमारियों के पैदा होने का खतरा भी होगा। इस चुनौती से निपटने के लिए जरूरी है जीवन शैली में बुनियादी बदलाव।
हमारे जीवन में शारीरिक श्रम के लिए कोई स्थान नहीं है। हम ज्यादा काम दिमाग या हाथ से करते हैं। बाकी समय हम या तो कुर्सी पर बैठे होते हैं या अपनी गाड़ियों में। शारीरिक निष्क्रियता नई जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा है। व्यायाम न करने के कारण पेट, आंतों और ब्रेस्ट का कैंसर होने की संभावना होती है। विभिन्न शोधों में यह बात उभरकर आई है कि शारीरिक व्यायाम न करने वाली स्त्रियां ज्यादा ब्रेस्ट कैंसर की शिकार होती हैं।
पुराने समय में स्त्रियां घरों में और पुरुष बाहर शारीरिक श्रम करते थे, इसलिए वे इन बीमारियों से बचे रहते थे। व्यायाम न करने के कारण हाई ब्लडप्रेशर, हाइपरटेंशन, ऑस्टियोपोरोसिस, डायबिटीज जैसी बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है। डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक भारत में इन बीमारियों की संख्या पश्चिम की तुलना में बहुत ज्यादा है। इस जीवन शैली से उपजा है आधुनिक खान-पान, जंक फूड और ऐसी चीजें, जिनमें वसा की मात्रा बहुत ज्यादा है।
घरों में भी भोजन में आमतौर पर ज्यादा तेल-मसाले का इस्तेमाल होता है। इससे भी पेट और आंतों का कैंसर हो सकता है। ज्यादा तेल-घी का सेवन कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है, जिससे हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है। आजकल शराब और सिगरेट सोशलाइट होने का एक जरिया बन गया है, जिसके बगैर आप आधुनिक नहीं कहलाते। शराब के सेवन से गैस्ट्रिक और लीवर कैंसर का खतरा होता है। शराब के साथ अक्सर लोग चिप्स या तली-भुनी चीजें खाते हैं।
यह सेहत के लिए खतरनाक है। तंबाकू और पान मसाले के सेवन से मुंह का कैंसर हो सकता है। भारत में मुंह का कैंसर आम बीमारी है, जबकि लंदन या यूरोप के देशों में मुंह का कैंसर नहीं होता, क्योंकि वहां पान मसाले जैसी चीजें खाने का प्रचलन नहीं है। वहां सिगरेट पीने के कारण फेफ ड़ों का कैंसर काफी होता है।
नई पीढ़ी आधुनिक दिखने के लिए जो सिगरेट, शराब अपना रही है, वह उनके लिए बीमारियों की खान है। इन बीमारियों को दूर रखने और स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी है कि हम आधुनिकता को अपनाएं, लेकिन आधुनिक निष्क्रियता से दूर रहें। दिनचर्या व खानपान प्रकृति के निकट हों। नए साल में अगर हम स्वस्थ मन व मस्तिष्क के साथ जीना चाहते हैं तो कुछ बातें ध्यान में रखनी जरूरी हैं।
प्रतिदिन कम से कम आधा घंटा व्यायाम करें। अगर सुबह समय के अभाव के कारण संभव न हो तो दिन में किसी भी समय व्यायाम किया जा सकता है।
खाने में तेल, घी, मसाले का सेवन न के बराबर करें। ज्यादातर भोजन उबला और सादा हो।
खाने में फल व हरी सब्जियों का उपयोग करें। कच्ची सब्जियां, सलाद और फाइबर वाले पदार्थो का सेवन करें।
पिछले कुछ समय में भारत में लड़कियों में सरवाइकल कैंसर भी काफी तेजी के साथ बढ़ा है। इस बीमारी की वजह भी आधुनिक जीवन शैली ही है, लेकिन इसका इलाज भी मौजूद है। सरवाइकल कैंसर का एक टीका बाजार में है। 14 से 22 साल की उम्र के बीच लड़कियों को यह टीका जरूर लगवाया जाना चाहिए। इससे सरवाइकल कैंसर की संभावना खत्म हो जाती है। सिर्फ थोड़ी सी जानकारी और सावधानी से बीमारियों से मुक्त स्वस्थ जीवन यापन किया जा सकता है। इसके लिए जरूरी है प्रकृति से जुड़ी और वैज्ञानिक जीवन शैली।